इलेक्ट्रिक वाहन और हादसे

sanjayverma
देश के विभिन्न शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। अब जरूरत इस बात की महसूस की जा रही है कि इनके निर्माण पर गहरी नजर रखी जाए। दरअसल शहरों में बढ़ते प्रदूषण और ईंधन की बढ़ती किल्लत के मद्देनजर बैट्री से चलने वाले यानी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकारें इनकी खरीद पर अनुदान, छूट वगैरह भी दे रही हैं। अब तो महानगरों में बैट्री चालित भाड़े की टैक्सियां भी चलने लगी हैं। लोगों में इन वाहनों के प्रति उत्साह बढ़ा है। इस वक्त करीब पौने ग्यारह लाख इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर चल रहे हैं। मगर इस उत्साह के बीच ऐसे वाहनों में तकनीकी खराबी की वजह से आग लगने और लोगों के जान गंवा देने या गंभीर रूप से घायल हो जाने की घटनाएं चिंता पैदा करने वाली हैं।
आशंका है कि अगर इन वाहनों में इसी तरह आग लगती और हादसे होते रहे, तो लोग इन्हें खरीदने से बचेंगे। ऐसे में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन विभाग का इस मामले को गंभीरता से लेना कुछ बेहतरी की उम्मीद जगाता है। सड़क एवं परिवहन मंत्री ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को सख्त हिदायत दी है कि अगर उनके बनाए वाहनों में तकनीकी खराबी आती है, तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। कंपनियों को तकनीकी खराबी वाले वाहनों को वापस लेना और सुधार कर ग्राहकों को देना होगा। अनेक देशों में बहुत बार ऐसा देखा गया है कि अगर किसी माडल के वाहन में तकनीकी खराबी की शिकायत आती है, तो संबंधित कंपनी खुद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए बाजार से उस माडल के सारे वाहनों को वापस ले लेती है और उनमें सुधार के बाद ही देती है। मगर हमारे यहां जब तक कानून का डंडा न चले, तब तक कंपनियां अपनी जिम्मेदारी नहीं समझतीं। उन्हें तो मुनाफे से मतलब है। हालांकि हमारे यहां भी सख्त उपभोक्ता कानून हैं और अगर कोई ग्राहक अदालत में अपनी किसी वस्तु की गुणवत्ता को लेकर शिकायत करता है, तो संबंधित कंपनी को भारी जुर्माने का भुगतान करना पड़ता है। मगर अदालती कार्यवाही में वक्त बहुत लगता है और हर ग्राहक वहां तक पहुंच नहीं पाता। इस तरह सरकार का खुद इस मामले में संज्ञान लेना एक सराहनीय पहल है। जिस तरह हमारे देश में वाहनों का उपयोग बढ़ रहा है, वाहन उद्योग दिन पर दिन फल-फूल रहा है, उसमें उनकी नैतिक जवाबदेही तय होना जरूरी है। साथ ही वाहन निर्माता कंपनियों की इस प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगना चाहिए कि वे केवल ग्राहकों का रुझान भांपते हुए अधिक से अधिक कमाई करने के मकसद से वाहन निर्माण न करें। बैट्री चालित वाहनों के निर्माण में फिलहाल गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। दुपहिया और चार पहिया वाहनों का निर्माण तो फिलहाल कुछ नामी कंपनियां कर रही हैं, जिनकी बाजार में पहचान और साख है। जब उनके वाहनों में इतने बड़े पैमाने पर खामी पैदा हो रही है, तो उन निर्माताओं के बारे में क्या कहें, जिन्होंने महज सरकारी प्रोत्साहन और बाजार में प्रचलन का लाभ उठाने के मकसद से गली-मोहल्लों तक में वाहन निर्माण शुरू कर दिया है। समय आ गया है कि इनके निर्माण पर भी नजर रखने की जरूरत है।

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