नारी शक्ति का महापर्व नवरात्रि

- संजीव ठाकुर
भारतीय संस्कृति और इतिहास में स्त्रियों को सदैव उच्च स्थान प्रदान किया गया है। यह भी मान्यता मानी गई है कि जिस घर में स्त्री का सम्मान होता है, वह घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो कर समाज में विशिष्ट स्थान बनाता है। यही संदेश नवरात्र में नवदुर्गा पूजन का भी है। यही कारण है कि भारत देश को भारत माता कहा जाता है। नारी तथा समस्त स्त्री जाति ने भारत देश का मान सदैव शीर्षस्थ बना कर रखा है। ऐसे अनगिनत उदाहरण इतिहास में और वर्तमान में हमारे समक्ष हैं जिससे हमारा सिर सदैव वैश्विक स्तर पर ऊंचा हुआ है।
महान शासक नेपोलियन बोनापार्ट ने नारी की महत्ता को बताते हुए कहा था कि 'मुझे एक योग्य माता दे दो, मैं तुम्हें एक योग्य राष्ट्र दूंगा'। मानव कल्याण की भावना, कर्तव्य, सृजनशीलता और ममता को सर्वोपरि मानते हुए महिलाओं ने इस जगत में मां के रूप में अपनी सर्वोपरि भूमिका को निभाते हुए राष्ट्र निर्माण और विकास में अपने विशेष दायित्वों का निर्वहन किया है। किसी भी राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं का महत्व इसलिए भी सर्वोपरि है कि महिलाएं बच्चों को जन्म देकर उनका पालन पोषण करते हुए उनमें संस्कार एवं सद्गुणों का उच्चतम विकास करती हैं और राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करती है, जिससे राष्ट्र निर्माण और विकास निर्बाध गति से होता रहे। वीर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, विवेकानंद जैसी विभूतियों का देश हित में अवतार माँ के लालन-पालन की ही देन है।



 जीजाबाई, जयंताबाई, पन्ना धाय जैसी अनेक माताओं को त्याग समर्पण और त्याग को भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित किया गया है। माताएं ही हैं जो बहुआयामी व्यक्तित्व का निर्माण और विकास करती है। मूलतः माताएं, स्त्रियां की राष्ट्र निर्माण की सशक्त सूत्रधार होती है।
समाज के सांस्कृतिक धार्मिक भौगोलिक ऐतिहासिक और साहित्यिक जगत में नारी यानी स्त्री का दिव्य स्वरूप प्रस्फुटित हुआ है और जिसके फलस्वरूप राष्ट्र ने नई नई ऊंचाइयों को भी शिरोधार्य किया है। सभ्यता, संस्कृति ,संस्कार और परंपराएं महिलाओं के कारण ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती हैं । अतः महिलाओं की सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक कार्य शक्ति ही परिवार तथा समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाते हैं।
 नारियों के संदर्भ में यह भी कहा गया है कि सशक्त महिला सशक्त समाज की आधारशिला होती है। माताएं शिशु की प्रथम शिक्षिका होती है। माता के बाद बहन,पत्नी का अवतार राष्ट्र निर्माण और विकास के साथ-साथ पथ प्रदर्शक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, पत्नी चाहे तो पति को गुणवान और सद्गुणी बना सकती है। इतिहास गवाह है कि जब भी कभी देश में संकट आया है तो पत्नियों ने अपने पतियों के माथे पर तिलक लगाकर जोश, जुनून और विश्वास के साथ रणभूमि भेजा है और विजयश्री प्राप्त की है।
तुलसीदास जी के जीवन में आध्यात्मिक चेतना प्रदान करने के लिए उनकी पत्नी रत्नावली का ही हाथ था। विद्योत्मा ने कालिदास को संस्कृत का प्रकांड महाकवि बनाया था, इसके अतिरिक्त यह कहना भी गलत नहीं होगा कि पति को भ्रष्टाचार, बेईमानी, लूट, गबन आदि जो कि राष्ट्र को खोखला बनाते हैं जैसी बुराइयों से पत्नी ही दूर रख सकती है और उन्हें इन विसंगतियों से अपनी सलाह के अनुसार बचाती है। सही मायनों में महिलाएं ही संस्कृति, संस्कार और परंपराओं की संरक्षिका होती है। वे पीढ़ी दर पीढ़ी इसका संचालन आरक्षण करती आ रही है।
पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण एवं महती रही है। स्वतंत्रता के आंदोलन की चर्चा ना करना इस आलेख को पूर्ण बनाता है, अतः स्वाधीनता के आंदोलन में महिलाओं ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर भारत के नवनिर्माण में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया है, कैप्टन लक्ष्मी सहगल, अरूणा आसफ अली, मैडम भीकाजी कामा,सरोजिनी नायडू, एनी बेसेंट, दुर्गा भाभी और न जाने कितनी महिलाओं ने राष्ट्र निर्माण और विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया है।
राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, विजयलक्ष्मी पंडित विश्व की प्रथम महिला जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष बनी, सरोजनी नायडू, सुचेता कृपलानी, इंदिरा गांधी जैसे महिलाओं ने राजनीतिक प्रतिभा का प्रयोग राष्ट्र निर्माण और विकास में किया है जो अपने समय के महत्वपूर्ण सशक्त हस्ताक्षर थी। वर्तमान में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, ममता बनर्जी, मायावती, स्मृति ईरानी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, हरसिमरन कौर, वसुंधरा राजे सिंधिया, प्रतिभा पाटिल, मृदुला सिन्हा आदि ने राजनीति मैं अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपने कार्यों से महिलाओं का सम्मान बढ़ाया एवं देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में अपना योगदान दिया है।
यह कहने में कतई गुरेज नहीं है कि महिलाएं राजनीति, सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक, चिकित्सकीय, और विज्ञान में देश के हित के लिए अग्रणी रही हैं। सशक्त राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं की सशक्त भूमिका को नमन करते हुए कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें साधुवाद प्रदान कर उनकी इस भूमिका को प्रणाम करता है।
स्वतंत्र लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़।

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