रमज़ान माह के अलविदा जुमे की नमाज में रही नमाजियों की भारी तादाद 


नमाज के बाद सभी मस्जिदों में मुल्क और पूरी दुनिया में अमनो अमान के लिए मांगी दुआ 


सरधना (मेरठ) मुकद्दस माहे रमजान के अलविदा जुमे को सख्त गर्मी के बावजूद नगर और देहात के लोगों ने मस्जिदों में पहुंचकर अकीदत के साथ नमाज ए जुमा अदा की और खुदा की बारगाह में सजदा कर के देश दुनिया में अमन और सलामती की दुआएं मांगी। 

मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा महीना माहे रमजान चल रहा है। ऐसे में लोग तेज गर्मी के बावजूद रोजा रख खुदा की इबादत कर रहे हैं। शुक्रवार को सख़्त गर्मी में रमजान के आख़िरी जुमे की नमाज अदा की गई। इस दौरान मस्जिदों में नमाजियों की भारी भीड़ रही। नमाजियों ने खुदा की बारगाह में सजदा कर अपने गुनाहों की माफी मांगी तथा अमन चैन की दुआएं की। बस स्टेण्ड मस्जिद कुरैशियान में नमाज ए जुमा से पहले ने मुफ़्ती नियाज़ ने अपने बयान के दौरान रमजान और कुरान की अहमियत बताई साथ ही साथ उन्होंने अलविदा जुमे के दिन की फजीलत पर भी रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि अलविदा जुमा तमाम दिनों का सरदार है, जिसमें हर वक्त अल्लाह की रहमत नाज़िल होती है। उन्होंने कहा कि रमजान और जुमा दोनों बहुत ही कीमती है इसलिए इस में  ज्यादा से ज्यादा इबादत करें। मुफ़्ती नियाज  ने अल्लाह की इबादत व कसरत से जिक्र करने पर जोर दिया और भलाई एवं सीधे रास्ते पर चलने की नसीहत करते हुए कहा कि इंसानियत के काम आने वालों और नेक काम करने वालों को ही अल्लाह दुनिया और आखिरत में इज्जत देते हैं। 

 जामा मस्जिद के इमाम मुफ़्ती मोहम्मद शाकिर ने बताया कि रहमत के बाद मगफिरत और अब तीसरा अशरा चल रहा है यानी यह अशरा जहन्नम से अपने आपको बचाने का अशरा है, जिसमें हमें अल्लाह की बारगाह में सजदे करके अपनी मगफिरत करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रमजान में अल्लाह पाक का दरबार हर समय खुला हुआ है किसी भी समय अल्लाह से तोबा अस्तगफार कर के अपने गुनाहों की माफी मांग लेनी चाहिए। मुफ़्ती मोहम्मद शाकिर ने जुमे का खुतबा दिया और अपने बयान के दौरान अल्लाह के जिक्र करने व सीधे रास्ते पर चलने की नसीहत की। उन्होंने कहा कि सदका करने वालों और अल्लाह की राह में खर्च करने वालों को अल्लाह बहुत पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इंसानों से मोहब्बत और दुश्मनी सिर्फ अल्लाह की रजा के खातिर ही रखनी चाहिए और अपने हर काम में अल्लाह की रजा को शामिल रखना चाहिए। इसके अलावा मस्जिद तकियाकेत मस्जिद काजियान, मस्जिद एक मिनारा मस्जिद आयशा. जुल्हेड़ा रोड मस्जिद कमरा नवाबान मस्जिद अंगूर वाली मस्जिद आदि मस्जिदों में अकीदत के साथ अलविदा के जुम्मे की नमाज अदा करके लोगों ने देश और दुनिया में अमनो अमान के लिए दुआ की। कई मस्जिदों में नमाज से पहले मोलवियों ने रोजे व नमाज की अहमियत बताते हुए कहा कि रमजान का महीना लोगों को भलाई के कार्य में निकालना चाहिए। साथ ही जकात औरखैरात के बारे में बताया गया। अलविदा जुमे को कई मस्जिदों में जगह की कमी के कारण छतों पर टेंट लगाकर नमाज पढने की व्यवस्था की गई। उधर, देहात की मस्जिदों में भी नमाज अदा की गई। नगर में आए अकीदतमंदों ने बाजारों में जमकर खरीदारी की। नगर पालिका परिषद की ओर से मस्जिदों के आसपास कली चूना आदि का छिड़काव कराया गया था। जुमे की नमाज को लेकर पुलिस प्रशासन भी चौकन्ना रहा। मस्जिदों के बाहर पुलिस कर्मी तैनात रहे। 



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