टियर-2 और टियर-3 श्रेणी के शहरों में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी तेजी से हो रहा है बदलाव: रोहित गजभिये, फाइनेंसपीयर
मेरठ : फाइनेंसपीयर के संस्थापक एवं सीईओ, श्री रोहित गजभिये के अनुसार, भारत में एडटेक इंडस्ट्री के विकसित होने की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में, खास तौर पर टियर-2 और टियर-3 श्रेणी के शहरों की शिक्षा व्यवस्था में बड़ी तेजी से बदलाव देखा जा रहा है।
आम लोगों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को अपनाने तथा एडटेक के विकास के बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए, श्री गजभिये ने कहा: “कुछ समय पहले तक अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा सिर्फ दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे कुछ बड़े शहरों तक ही सीमित थी। हालांकि, सरकार की ओर से लगातार किए जा रहे प्रयासों और डिजिटल शिक्षा का दायरा बढ़ने की वजह से अब हम टियर-2 और टियर-3 श्रेणी के शहरों में भी अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने के बारे में सोच सकते हैं। इस बदलाव में एडटेक इंडस्ट्री की भूमिका बेहद अहम रही है, क्योंकि बहुत से निजी संस्थानों ने टेक्नोलॉजी में काफी निवेश किया है ताकि ऑनलाइन शिक्षा को महानगरों से बाहर सभी के लिए सुलभ बनाया जा सके।”
गौरतलब है कि, वर्ष 2020 में भारत में एडटेक इंडस्ट्री में लगभग 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ। यह निवेश विशेष रूप से एडटेक क्षेत्र में नई तकनीक लाने और कुछ नया कर दिखाने वाले स्टार्ट-अप्स में किया गया है।
इस तरह के स्टार्ट-अप्स की भूमिका पर जोर देते हुए श्री गजभिये ने कहा कि, ऐसे कई स्टार्ट-अप्स हैं जिन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्धकराने के अलावा फीस के भुगतान की समस्या को भी दूर करने की कोशिश की है, जो सही मायने में स्कूलों के साथ-साथ अभिभावकों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है।
उन्होंने आगे कहा, “टियर-2 और टियर-3 श्रेणी के शहरों के लिए सिर्फ टेक्नोलॉजी ही एकमात्र समस्या नहीं है, बल्कि महामारी की वजह से उन शहरों में रहने वाले लोगों को आर्थिक रूप से भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है। पढ़ाई की फीस के लिए फाइनेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाले स्टार्ट-अप्स की वजह से उनका हौसला काफी बढ़ा है।"
फाइनेंसपीयर के संस्थापक ने बताया कि आज पढ़ाई की फीस के लिए फाइनेंसिंग की सुविधा समय की मांग बन गई है। उन्होंने कहा, “पढ़ाई की फीस के लिए फाइनेंसिंग की सुविधा, वाकई शिक्षा के क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स द्वारा बड़ा बदलाव लाने के लिए शुरू की गई पहलों में से एक है। ऐसे स्टार्ट-अप्स, स्कूल को छात्र के पूरे सेमेस्टर की फीस का पहले ही भुगतान कर देते हैं। फिर माता-पिता कंपनी को आसान किस्तों में धीरे-धीरे राशि चुका सकते हैं, जिन पर अक्सर ब्याज नहीं लिया जाता है। यह व्यवस्था स्कूलों के साथ-साथ छात्रों के परिवारों, दोनों के लिए बेहद फायदेमंद है।”
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