सभी थानों में अधिवक्ता पैनल रखे जाए 

मेरठ। ज़ीशान सिद्दीकी एडवोकेट ने डीजीपी को पत्र लिखकर सभी थानों में अधिवक्ता पैनल रखने की मांग की। पत्र में उन्होंने बताया है कि  एक व्यक्ति की स्वतन्त्रता व सुरक्षा ही सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। समाज में कानूनी व्यवस्था बनी रहे, इसके लिये पुलिस प्रशासन लगातार कार्य करता चला आ रहा है।

 ज़ीशान सिद्दीकी एडवोकेट ने डीजीपी पुलिस को  अवगत कराया है कि अधिक मात्रा में  थानों में गिरफ्तार व्यक्ति का पूछताछ के दौरान अपने पसन्द के अधिवक्ता से परामर्श व मिलने का अधिकार प्राप्त होने के बावजूद उसके अधिकार से उसे वंचित रखा जाता है। साथ ही पीडित व्यक्ति व यौन उत्पीड़न के मामलों में शिकायतकर्ताओं को थानों में उनका कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है जो उनके हितों की देखभाल कर सके। जब पीडित या पीडिता पुलिस थाने आती है तो उस समय वह बहुत परेशान व धबराहट की स्थिति में होती हैए उस समय एक वकील की मदय और समर्थन की उसे आवश्यकता होती है। ज़ीशान सिद्दीकी एडवोकेट ने मांग की है कि उप्र के सभी थानों के क्षेत्राधिकार के हिसाब से जितने भी अधिवक्ता हैं उनकी थानों के अनुसार सूची मय मोबाईल नम्बर सहित थानों में बनाई जाये। जिससे पीडित या शिकायतकर्ता को अपने पसंद के अधिवक्ता से मिलने व परामर्श लेने का अधिकार मिल सके। विधि व्यवस्था अनुसार जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस अनिरूद्ध पीआई की सुप्रीम कोर्ट खण्डपीठ ने सन 1995 में दिल्ली घरेलू कामकाजी महिला में बनाम भारत संघ में यह आदेश राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों को इस निर्देश के अनुसार दिया कि यौन उत्पीडन अपराधों के पीडितों की सहायता के लिये वकीलों का थाने में एक पैनल हो। हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात राज्य के  पुलिस महानिदेशक महोदय को आदेश दिये हैं कि सुप्रीम कोर्ट के 1995 के निर्देश का राज्य के सभी थानों में वकीलों का एक पैनल सुनिश्चित करायें।


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