फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में बताई नई शोध तकनीक


मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मान्यवर कांशीराम शोधपीठ एवं इंडियन इकॉनामिक एसोसिएशन के फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में विशेषज्ञों ने नई शोध तकनीक बताई। इस दौरान विदेशी विशेषज्ञ ने भी अपने व्याख्या दिए।

’सामाजिक एवं मानविकी विज्ञान में शोध प्रविधि एवं समंक विश्लेषण तकनीक’ विषय पर आयोजित 14 दिवसीय फेकल्टी डेवल्पमेंट प्रोग्राम के नवें दिन बुधवार को प्रथम सत्र में सलाले विवि फिचे इथोपिया के प्रो. मनोज मिश्रा ने प्रैटिक्स ऑन ईव्यूज-सॉफटवेयर’ की व्यावहारिक जानकारी दी।

द्वितीय सत्र में चौधरी चरण सिंह विवि के प्रो. जमाल अहमद सिद्दीकी ने ई-कन्टेंट पर अपना व्याख्यान दिया। साथ ही शोधार्थी व शोध-निर्देशक को शोध के समय आने वाली समस्याओं पर चर्चा की और प्रतिभागियों को रिसर्च के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि शोध प्रक्रिया के दौरान सबसे कठिन कार्य समस्या की पहचान करना है। इन्फिलबिनेटकी वेबसाइट पर जाकर शोधगंगा पोर्टल पर पूरे देश की तमाम विश्वविद्यालयों के द्वारा कराई गई पीएचडी दिखाई देगी।

तृतीय सत्र में एचएनबी विवि श्रीनगर उत्तराखंड की प्रो. इंदु पांडेय खंडूरी ने कहा कि शोध नीतिशास्त्र का दूसरा रूप है, जो व्यक्ति को सद्मार्गों की ओर ले जाता है। मानव व्यवहार को नियन्त्रित करने के लिए विभिन्न मापदंड जिनमें व्यक्तिगत मूल्य, नैतिक मूल्य, बाजार मूल्य, सामाजिक मूल्य तथा वैश्विक मूल्य के आधार का स्तम्भ शोध है। उन्होंने शोधकर्ता तथा सुपरवाइजर दोनों के शोध व्यवहार की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि नैतिक नियमों के बिना शोध, शोध नहीं कहा जाना चाहिए। उन्होनें प्लेगरिज्म के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए शोध को सामाजिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने सुनने, मनन करने तथा समर्पित होने की प्रक्रिया को समझाते हुए शोधार्थी के विभिन्न लक्षणों की विस्तृत चर्चा की।


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