भारतीय जनमानस के लिए प्रेरणास्रोत है प्रभु श्रीराम का जीवन
- राष्ट्रीय कवि संगम ने किया कवि सम्मेलन का आयोजन
- अपनी प्रस्तुतियों से कवियों ने मोह लिया श्रोताओं का मन

मेरठ। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदीश मित्तल जी की प्रेरणा से राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा वर्तमान में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चैदह वर्ष के वनवास मार्ग में श्री लंका से अयोध्या जी तक ‘श्री राम वन गमन पथ काव्य यात्रा’ चल रही है। जिसके उपलक्ष में सभी जिलों में कवि सम्मेलन आयोजित किये जा रहे हैं। 42 दिवसीय यात्रा का समापन श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या में राम नवमी के शुभावसर पर सम्पन्न होगा। इसी श्रृंखला में राष्ट्रीय कवि संगम जनपद मेरठ द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन बैजल भवन मेरठ सभागार में राष्ट्रीय कवि डा0 हरिओम पंवार जी के सान्निध्य व  श्री जयकरण गुप्ता जी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। 
कार्यक्रम का शुभारंभ डा0 हरिओम पंवार जी द्वारा मां सरस्वती पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मुख्य अतिथि नवनिर्वाचित विधायक श्री अमित अग्रवाल जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रभु श्रीराम का जीवन प्रत्येक भारतीय जनमानस के लिए प्रेरणास्रोत हैं भगवान श्रीराम का जन -जन में वास है । हम सभी उनके बताए आदर्शों पर चलें। विशिष्ट अतिथि के रुप में पूर्व मेयर हरिकांत अहलूवालिया जी एवं डा मयंक अग्रवाल आईआईएमटी उपस्थित रहे। 
सभागार कवियों की भगवान राम पर रचित रचनाएं सुन राममय होगया। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं संयोजन कोमल रस्तोगी जनपद अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम ने किया । कार्यक्रम को सफल बनाने में शीलवर्धन, प्रवीन तोमर, उद्बबोध सिंह, अजय दीवान, निशांक गर्ग का विशेष सहयोग रहा। उपाध्यक्ष चंद्र शेखर मयूर जी की उपस्थिति रही।
आमंत्रित कविगण
सुमनेश ‘सुमन’ ने कुछ इस प्रकार कहा-
भले हम जाति, मजहब, धर्म में हो सब अलग लेकिन ,
दिलों में सब धड़कता एक हिंदुस्तान रखते हैं।
सत्यपाल ‘सत्यम’ ने यूं कहा-
बने बनेगा फिर से देश महान दुनिया में किसी ओर से पुकारो आप,
 देश तेरे पास तेरे दास चले आएंगे। 
ऐसा वातावरण बना के रख दिया गया आज ,
देशभक्त एक एक पास चले आएंगे।
सुलतान सिंह सुलतान ने भी काव्य पाठ किया।
वैभव अग्रवाल ने कहा 
वनगमन राम के ईश्वरत्व की पहचान है ।अपने भीतर राम को ही ढूंढता इंसान है। राम ने जो जीत ली लंका श्री लंका हो गई राम से हिंदुत्व है हिंदुत्व का सम्मान है।
वेद ठाकुर ने कुछ कहा 
सूर्य में भी राम बसे चंद्र में भी राम बसे सृष्टि चक्र देखो राम सुबह और शाम हैं। 
आदि से अनंत  तक सब में समाए हैं तो राम-राम राम-राम राम-राम है।
कोमल रस्तोगी ने श्री राम के वनवास पर पंक्तियां समर्पित कीं
‘कंटक पथ निष्कंटक करने
मर्यादा के धाम चले ।
ओढ़ के वनवासी का चोला
जग के राजा राम चले।
नीलम मिश्रा ने कुछ यूं कहा 
हे जनक नंदिनी प्राणप्रिया बनवास मुझे ही दीन्हा है ,
मुझे जल्दी गमन वन करने दो।
हे नाथ सुनो बिनती मेरी 
मेरा पतिव्रत धर्म यह कहता है, 
मुझे चरणों की सेवा में रहने दो।
संजय जैन ने कुछ इस प्रकार कहा
प्रेम हित अनुराग राम जी के कई नाम 
शबरी के बेर खाए बिना भेदभाव से, धैर्य है समुंदर सा इनका मनो में धाम।
कार्यक्रम के अंत में जनपद अध्यक्ष कोमल रस्तोगी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts