सरधना से साजिद कुरैशी की रिपोर्ट-----
दोना पत्तल के कारोबार से जुड़े मजदूर उतरे हडताल पर

सरधना (मेरठ) सरधना नगर में कपड़ा उद्योग के बाद दूसरा नंबर दोना पत्तल बनाने के कारोबार का आता है। सरधना की अधिकांश आबादी पावर लूम फैक्ट्रियों मैं बनने वाले कपड़े से जुड़े कारोबार और दोना पत्तल बनाने की फैक्ट्रियों में काम करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं । दोना पत्तल के कारोबार से जुड़े मजदूर, मजदूरी बढ़ाई जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर आ गए हैं । वही फैक्ट्री मालिक मजदूरी बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। जिसके चलते फैक्ट्री मालिक और मजदूरों के बीच दूरी पैदा हो जाने पर मजदूर हड़ताल पर उतर आए हैं। जिसके चलते उन्होंने नगर के राम विहार कॉलोनी में एक बैठक कर मांगे पूरी ना होने तक हड़ताल करने का निर्णय लिया है।
सरधना में छबड़िया रोड पर राम विहार कॉलोनी में सोमवार शाम के समय दोना पत्तल फैक्ट्रियों में मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे मजदूर एकत्रित हुए और उन्होंने मीटिंग कर हड़ताल करने का निर्णय लिया। मजदूरों का कहना था कि महंगाई के इस दौर में हमें मिलने वाली मजदूरी बहुत कम है। जिसे बढ़ाए जाने की मांग की तो फैक्ट्री के मालिको  मजदूरी बढ़ाने से इनकार कर दिया। जिसके चलते उन्हें इस निर्णय पर आना पड़ा। बताया गया कि पहले 5 हजार दोने पत्तल बनाए जाने पर 110 की मजदूरी दी जाती थी।अब फैक्ट्री मालिक इसे घटाकर 90 करने का प्रयास कर रहे हैं । जबकि मजदूर 110 से बढ़ाकर 130 की बात पर अड़ गए हैं । मजदूरों का कहना है कि 5 हजार दोना बनाने में उन्हें 110 रुपए, 12 इंच प्लेट बनाने में 300, कटोरा बनाने में 120, और 7 इंच की प्लेट बनाने में 140 रुपये की मजदूरी मिल रही थी । अब वह हर एक आइटम को बनाने में ₹20 मजदूरी बढ़ाई जाने की मांग कर रहे हैं । लेकिन कुछ फैक्ट्री मालिक इसमें ₹20 की कटौती करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके चलते उन्होंने राम विहार कॉलोनी में एकत्रित होने का निर्णय लिया और यहां बैठक कर सभी आइटम पर 20 - 20 रुपये मजदूरी बढ़ाई जाने का निर्णय लिया । मजदूरों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी तब तक वह हड़ताल पर रहेंगे। बैठक में सभासद दिलशाद अंसारी, इरफान, जियाउद्दीन, हाफिज अब्दुल राशिद, जमील, भूरा, गौतम, हरिओम, आबिद, सोनू, मोबीन, संजय कुमार, नफीस, मुस्तकीम, कामरान, नौशाद, आदि मुख्य रूप से शामिल रहे। उधर फैक्ट्री मालिको से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहले मजदूर की कटिंग (स्क्रैप)  12 रुपये  बिकती थी आज 18 रुपये बिक रही हैम इसमें मजदूर का फायदा है । हमारा पेपर 25 से बढ़कर 50 रुपये हो गया है । मंगाई के चलते बाज़ार में डिमांड घट गई है। और अब उनके सामने भारी परेशानी खड़ी हो रही है। जिसके चलते वह मजदूरों को मजदूरी बढ़ाकर नहीं दे सकते। अब देखना है कि यह हड़ताल मजदूरों को भारी पड़ती है या की फैक्ट्री मालिकों को।

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