जैव निम्नीकरणीय कचरा प्रबंधन" पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन
Meerut- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मिशन शक्ति अभियान एवं 71 /1 BN UP NCC के अंतर्गत महिला अध्ययन केंद्र रानी लक्ष्मीबाई छात्रावास में "चिकित्सकीय पौधे तथा उनकी उपयोगिता" व "जैव निम्नीकरणीय कचरा प्रबंधन" पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला और प्रति कुलपति प्रोफेसर वाई विमला उपस्थित रही। कार्यक्रम की रूपरेखा प्रोफेसर बिंदु शर्मा संयोजिका मिशन शक्ति अभियान उत्तर प्रदेश द्वारा तैयार की गई। प्रोफेसर रूपनारायण तथा प्रोफेसर मीनू गुप्ता मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला तथा प्रति कुलपति प्रोफेसर वाई विमला ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आरंभ किया गया और शोधार्थी आशु द्वारा पेश किए गए कचरा प्रबंधन प्रारूप को स्वीकारते हुए उनको स्टार्टअप स्कीम के अंतर्गत शोध प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराने की घोषणा की । जिसके अंतर्गत सूक्ष्म जीवों तथा केंचुए द्वारा विश्वविद्यालय की सूखी पत्तियों तथा हरी पत्तियों व सब्जियों द्वारा खाद बनाने की प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझाया गया। वही विश्वविद्यालय में कचरे के निस्तारण से संबंधित इकाइयों का संचालन तथा उनसे बने उत्पादों को भी प्रदर्शनी के रूप में प्रदर्शित किया गया जोकि सभी के आकर्षण का केंद्र रही।
कार्यक्रम में कुलपति प्रति कुलपति एवं वित्त अधिकारी द्वारा कचरे से बनी खाद के पैकेट्स को खरीदना आकर्षण का केंद्र रहा तथा उन्होंने पैकेटस को बेचने का लक्ष्य निर्धारित किया। उपस्थित शोधार्थियों तथा प्रोफेसरों द्वारा भी कचरा प्रबंधन प्रारूप की जमकर सराहना की। वही प्रोफेसर मीनू गुप्ता द्वारा चिकित्सकीय पौधे तथा उनकी उपयोगिता के ऊपर प्रकाश डाला गया । वहीं दूसरी ओर कार्यशाला की शुरुआत में एनसीसी के छात्रों द्वारा कुलपति तथा मुख्य अतिथियों को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। विश्वविद्यालय के एनसीसी के छात्र करन सिंह कोरंगा द्वारा गणतंत्र दिवस की परेड में प्रतिभाग करने के लिए कुलपति द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के छात्रों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की और कार्यशाला से जुड़कर विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों से कचरे का निस्तारण और पौधों का जीवन में चिकित्सीय प्रभाव समझ कर अपनी जानकारी को बढ़ाने का प्रयास किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अनेक विभागों से शिक्षकों तथा छात्रों का भी सहयोग रहा। कार्यशाला में अनुसंधान विद्वानों दीपिका, स्वाति गौतम, मेरिका जयंत, आशु का सहयोग सराहनीय रहा।
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