टीबी को लेकर सामुदायिक स्तर पर किया जाएगा संवेदीकरण

.         टीबी उन्मूलन के लिए जन जागरूकता जरूरी:- डा गुलशन
 मेरठ,7 जनवरी 2022। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आजकल जनपद में आईकोनिक वीक ऑफ हेल्थ का आयोजन किया जा रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में आठ जनवरी को धर्म गुरुओं के साथ बैठक की जाएगी। नौ जनवरी तक चलने वाले कार्यक्रम का उद्देश्य है कि सामुदायिक स्तर पर क्षय रोग के लक्षण, जांच और उपचार की जानकारी दी जाए। उम्मीद है कि इससे क्षय रोगियों की जल्दी पहचान हो सकेगी और जल्द ही उपचार शुरू हो सकेगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. गुलशन राय ने बताया आठ जनवरी को प्रमुख धर्मगुरुओं का इस विषय पर संवेदीकरण का कार्यक्रम है। नौ जनवरी को ग्राम स्तर पर सामुदायिक बैठक, नुक्कड़ नाटक और मैजिक शो एवं अन्य जागरूकता गतिविधियों के आयोजन के साथ आईकोनिक वीक ऑफ हेल्थ संपन्न होगा। इस दौरान कोविड प्रोटोकाल का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
उन्होंने बताया पहले टीबी की रोकथाम के लिए कार्यक्रम चलता था अब पिछले दो वर्षों से टीबी उन्मूलन के लिए काम कर रहे हैं। लक्ष्य वर्ष 2025 तक देश को टीबी की बीमारी से मुक्त करना है।  उन्होंने कहा इसके लिए स्वास्थ्य विभाग तो प्रयास कर ही रहा है लेकिन टीबी उन्मूलन के लिए जन जागरूकता बहुत जरूरी है। यदि किसी को टीबी के लक्षण हैं तो उसे तुरंत जांच करानी चाहिए। टीबी का मरीज इलाज के अभाव में 15 से 20 लोगों को संक्रमित कर देता है। किसी भी व्यक्ति को दो हफ्ते या इससे अधिक समय से खांसी हो, बलगम के साथ खून आ रहा हो, बुखार रहता हो, रात को पसीना आता हो, सीने में दर्द और लगातार वजन कम होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। टीबी की आशंका होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग टीबी की समस्त आधुनिक जांच और उपचार निशुल्क उपलब्ध कराता है। यह सुविधा सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है। टीबी रोगियों को पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है, इसके लिए भारत सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार चलने तक हर रोगी को प्रतिमाह पांच सौ रुपए का भुगतान उसके खाते में किया जाता है। अच्छी प्रोटीन युक्त खुराक लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनी रहती हैए इसलिए टीबी रोगियों को प्रोटीन युक्त भोजन की सलाह दी जाती है।
डीटीओ ने बताया एमडीआर यानि मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी उन मरीजों को होती है जो उपचार पूर्ण होने से पहले ही दवा छोड़ देते हैं। उस स्थिति में टीबी का उपचार मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा पूर्ण उपचार के लिए हर टीबी मरीज को कम से कम छह माह दवा अवश्य खानी होती है। उसके बाद यदि जरूरत है तभी चिकित्सक उपचार जारी रखने की सलाह देते हैं। इसलिए नियमित रूप से दवा का सेवन करें और चिकित्सक की सलाह के बिना दवा न छोड़ें।
डीटीओ ने कहा टीबी के उपचार की सबसे बेहतर दवा स्वास्थ्य विभाग निशुल्क उपलब्ध कराता है और नियमित रूप से दवा खाने पर टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। उन्होंने बताया जनपद में वर्ष 2021 में 11405 मरीज खोजे गये । सरकारी विभाग व सामाजिक संस्थाओं द्वारा  टीबी से ग्रसित 800 बच्चों को गोद लिया गया, जिसमें 600 बच्चे ठीक हो गये हैं। जबकि 200 बच्चों का उपचार विभाग की ओर से किया जा रहा है।


No comments:

Post a Comment

Popular Posts