पास आओ, खुशी से कहें बात हम,
आजमाओ  मुझे तो रहें साथ हम।
प्यार की बात  हो या  मुलाकात  हो,
मत सताओ मुझे तो गहे हाथ हम।

मन मुताबिक कभी बात बनती नहीं,
मन मिलाकर करें आज शुरुआत हम।
राग  षटराग  हो  यह  जरूरी  नहीं,
गुनगुनाओ अगर तो भरें साज हम।



कल अमावस सरीखी कठिन रात थी,
अब उजाले भरी ही लखें प्रात हम।
नाम की चाह को, मान की राह को,
साथ लेकर चलें, या करें ज्ञात हम।

सोचते ही रहे, कर न पाए कभी,
अब समय चूकने पर सहे बात हम।
आज भी चूकने से बचें यदि सखे,
सच कहूं मैं अभी भी बढ़ें साथ हम।
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- अनुपम चतुर्वेदी
सन्त कबीर नगर (उ.प्र.)।

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