अभिलाषा है
मेरे मन की
या यूँ कहे जीवन की
सारे जग के निवासी
सुखी हों
उनके तन भी हो



व्याधि रहित
सदैव जीवन बीते
सुख,वैभव और
सम्मान सहित
बस यही इच्छा है कि
किसी के भी हिस्से में
दुःख न आये
सभी सुखी हों,
कल्याणों को देखें
और शांति-सुख पायें
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- प्रवीणा दीक्षित,वरिष्ठ कवयित्री व
शिक्षिका,कासगंज (उ.प्र.)।

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