मैदान में सेनाएं तैयार
 बस महारथी की घोषणा का इंतजार, तेजी से बदल रहे निष्ठा व नेतृत्व
 संजय वर्मा
मेरठ। 2022 की दुंदुभि बज गई है। सेनाएं तैयार हैं। चुनावी महारथी अपना पाला तय करने में जुटे हैं। निष्ठा व नेतृत्व तेजी से बदले जा रहे हैं। कल तक जो इस पाले में थे, उस पाले में पहुंच गए हैं। पाला बदल के साथ सुविधाजनक चुनावी मुद्दे और मुहावरे भी गढ़े जाने लगे हैं। सत्ता के लिए जो उपलब्धि है, विपक्ष को उसी में विफलता नजर आ रही है। जनता के जो मुद्दे हैं, उन पर चर्चा की जगह आरोप.प्रत्यारोप, विषैले वचनों व व्यंग्यबाणों का संधान है। मतदाता बोलने लगे हैं और टिकटों का एलान होते ही चुनावी तस्वीर साफ होने लगेगी।
महंगाई व बेरोजगारी से जनता जार.जार है। पांच साल पहले के मुकाबले नमक, आलू, प्याज, आटा, सरसों तेल और रसोई गैस के बढ़े दाम जनता के बीच मुद्दा हैं। 12 रुपये प्रति लीटर दाम घटाए जाने के बावजूद पेट्रोल व डीजल की तुलना पिछले चुनाव से की जा रही है। जनता की ट्रेन कही जाने वाली कई पैसेंजर ट्रेनें बंद हो गईं और बढ़ा बस का किराया भी याद दिलाया जा रहा है। सत्ता की ओर से तमाम सड़कें, पुल, हाईवे बनाने के दावे हैं तो विपक्ष खराब व जर्जर सड़कें दिखा रहा है। कर्मचारियों की 2005 में पुरानी पेंशन बंद हो गई। नई पेंशन वाली पीढ़ी बुढ़ापे के असुरक्षा बोध से परेशान है। आउटसोर्सिंग की नौकरियों में शोषण का मुद्दा भी है। मगर, चुनाव में इन मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है। हालांकि, लुभावने वादों की बौछार फिर शुरू हो गई है।
घाटे के बावजूद मुफ्त बिजली का वादा.
बिजली निगम 90 हजार करोड़ से अधिक के घाटे में हैं, लेकिन 300 यूनिट फ्री बिजली के वादे किए जा रहे हैं। वादे के बावजूद अखिलेश सरकार पहले वर्ष के बाद दोबारा कॉलेज स्टूडेंट्स को लैपटॉप नहीं बांट पाई थी। कन्या विद्याधन बंद कर देना पड़ा। योगी सरकार भी किसानों से कर्जमाफी का वादा कर सिर्फ एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर पाई। छात्रों को लैपटॉप का वादा कर टैबलेट व मोबाइल फोन देने की शुरुआत पांचवें साल कर पाई। लेकिन, मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त लैपटॉप, स्कूटी, विदेश में पढ़ाई व सिंचाई जैसे वादे शुरू हो गए हैं। भाजपा सरकार जो विकास के दावे कर रही है, विपक्ष को वे सब अपनी शुरुआत वाले लग रहे हैं।
आन.बान.शान का चुनाव
यह चुनाव भाजपा व सपा की आन, कांग्रेस की पहचान और बसपा के सम्मानजनक उपस्थिति के लिहाज से अहम है।अब देखना है मतदाता इन दलो के प्रति कैसे रवैया अपनाता है। 

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