विपुल जैन
बागपत। आंखे मीडिया सोशल नेटवर्क के डायरेक्टर एवं समाजसेवी आरआरडी उपाध्याय ने सार्वभौम के हित में भोजन की बर्बादी के खिलाफ अभियान छेड़ा है, जिसकी सभी लोग प्रशंसा कर रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि धरती पर मनुष्य रूप में उत्पन्न सभी प्राणियों के लिए भोजन हमारे जीवन का आधार है। जिसके बिना जीवित रहना सम्भव नहीं है। सनातन धर्म व उसके अनुसंघी मत-मतान्तरों में जीवन देने वाले अन्न को ईश्वर, देवता के रूप में पूजा जाता है। अन्न का अपमान सत्य सनातन धर्म सहित अन्य मत मतान्तरों  दुनिया के किसी भी मजहब में स्वीकार नहीं है। हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, यहूदी,पारसी सहित सभी अन्न का सम्मान करते है। लेकिन क्या वास्तविक जीवन में हम भोजन का आदर-सम्मान करते है। हम मूर्खो की तरह दैनिक जीवन में अन्न का अपमान करते हुए भोजन को बर्बाद करते है। अकेले हिन्दुस्तान में 20 प्रतिशत भोजन हर रोज बर्बाद किया जाता है, जो लगभग 25 करोड़ लोगों की भूख मिटा सकता है।अपने आपको शिक्षित और सम्पन्न कहने वाले मीडियम व हाई-प्रोफाइल लोगों ने होटलों, शादियो और रिश्तेदारियों में थाली में खाना छोड़ना अर्थात बर्बाद करना फैंशन बना लिया है, जो मुर्खता का प्रमाण है। आपके द्वारा बर्बाद किये खाने से किसी की भूख मिटायी जा सकती है। खाद्य पदार्थों के मूल कम किये जा सकते है। खाद्य पदार्थों के प्रोडक्सन को बढ़ाने के लिये मिलाया जाने वाले ज़हर को कम किया जा सकता है। खाद्य सामग्रियो में मिलावट को रोक कर हॉस्पिटलों के खर्च को कम किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि भोजन को बर्बाद न करे बल्कि जितनी आवश्यकता है, उतना ही भोजन थाली में परोसें।

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