सुशील कुमार
मेरठ। अभी तक आरएलडी और सपा के चुनावी गठबंधन का औपचारिक ऐलान नहीं होने से तमाम तरह की अटकलें तो हवाओं में गश्त कर ही रही हैं दोनों दलों के टिकट के दावेदार भी खासे परेशान हैं। टिकट के दावेदारों को सबसे बड़ी चिंता यही है जिस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए वे मशक्कत कर रहे हैं गठबंधन फार्मूले में वह सीट दूसरे दल में चली ना जाए।
दरअसल, अभी तक प्रदेश में यहां तक कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसी भी सभा में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी साथ-साथ नहीं दिखे हैं, ऐसे में इस वैचारिक गठबंधन को लेकर अटकलें लगने लगीं कि दोनों दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर रस्साकशी चल रही है। उधर,प्रियंका गांधी वाड्रा और जयंत की लखनऊ के एयरपोर्ट पर मुलाकात ने इन अटकलों को और हवा देने का काम किया है।
बता दें कि जयंत चौधरी ने लखनऊ में पिछले दिनों पार्टी का 2022 संकल्प पत्र जारी किया था। वैचारिक गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी की ओर से कोई भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अखिलेश-जयंत जनसभा को संबोधित करने आये लेकिन किसी भी सभा में दोनो नेता साथ नहीं दिखे।
मेरठ जनपद की आरएलडी के सिवालखास सीट के दावेदार नेता का कहना है कि पिछले कई महीनों जनसम्पर्क अभियान में जुटा हुआ हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि टिकट मुझे मिलेगा। लेकिन दिक्कत यह है कि अगर चुनावी गठबंधन के बाद यह सीट सपा के खाते में चली गई तो मेरी तो सारी तैयारियां धरी की धरी रह जाएगी।
सिवालखास सीट पर अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव अपना उम्मीदवार एक साल पहले ही अमित जानी के रुप में घोषित कर चुके हैं। अमित जानी तभी से अपने क्षेत्र में ना सिर्फ खूब मेहनत करने में लगे हैं बल्कि पैसा खर्च कर रहे हैं। अमित जानी टिकट मिलने की उम्मीद में ही अपने क्षेत्र में हाल ही शिवपाल सिंह यादव की रैली भी आयोजित करवा चुके हैं, क्योंकि सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मिलन की भी बात फाइनल मानी जा रही है ऐसे में सिवालखास सीट पर आरएलडी,सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के टिकट दावेदारों की दिल धड़कने तेज होना स्वाभाविक है।
वर्तमान में यह सीट बीजेपी के पास है, जो उसने सपा से छीनी थी। इस सीट पर सपा के साथ ही आरएलडी के कई उम्मीदवारों की नजरें टिकी हैं जो कि काफी अर्से से क्षेत्र में चुनावी तैयारियों में जुटे हुए भी हैं।
 इसी तरह बुलंदशहर की शिकारपुर सीट जो जाट बाहुल्य मानी जाती है, लेकिन वहां पर आरएलडी के अलावा सपा की भी नजरें हैं। यहां सपा के रामगोपाल यादव के करीबी माने जाने वाले नेता समेत करीब एक दर्जन सपा नेता टिकट मिलने की उम्मीद में कई महीनों से इलाके में अपनी चुनावी तैयारियां शुरु कर चुके हैं। बुलंदशहर  जनपद की अनूपशहर विधानसभा, मथुरा की मांट सीट, आगरा, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर जनपदों में आदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसी करीब 50 से ज्यादा सीटें हैं जिनपर रस्साकशी चल रही है। जाहिर है कि गठबंधन की सूरत में किसी एक पार्टी के खाते में सीट जाएगी। ऐसे में सीट से वंचित होने वाली पार्टी के टिकट दावेदारों के चुनाव लड़ने का सपना टूटना तय है।


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