बागपत। अतिशय क्षेत्र बरनावा की तपोभूमि पर हो रहे श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान में ब्रह्मचारी प्रदीप पीयूष  जबलपुर के निर्देशन में 128 अर्घ्यो से प्रभु की पूजा की गई।

प्रदीप पीयूष ने बताया कि यह सिद्ध चक्र महामंडल विधान अनेक विधानों का सृजन करता है। आज इस विधान के अंतर्गत आश्रव विधान सम्पन्न किया गया। प्राय करके हमारी माँ बहने प्रतिदिन इस विधान को सम्पन्न करती है। हम और आप संध्या कालीन आलोचना पाठ पढ़ते है। उन दो लाइनों के पढ़ने पर हमारा आज का सिद्धचक्र महामंडल विधान सम्पन्न हो जाता है। बताया कि हम प्रतिदिन एक माला णमोकार मंत्र की फेरते है।वह माला ये 108 प्रकार से होने वाला जो पाप का आश्रव है, उसको समाप्त करने के लिए एक माला णमोकार मंत्र की अवश्य हमे करना चाहिए। संसार का कार्य हो या परमार्थ का कार्य हो, सभी कार्य समरंभ समारंभ आरम्भ के बिना नही होते है। किसी कार्य को करने का मन मे विचार करना समरंभ कहलाता है और कार्य को करने लगना आरम्भ कहलाता है। इस मौके पर कृष्णा देवी जैन, रमाबाई देवी जैन, सरिता जैन, योगेश जैन,संजय जैन, बॉबी जैन आदि थे।
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