Avinash Yadav

लखनऊ। लखनऊ पुस्तक मेले में राकेश मिश्र के चौथे काव्य-संग्रह 'शब्दों का देश' का लोकार्पण किया गया
इसकी अध्यक्षता कथाकार और 'तद्भव' के सम्पादक अखिलेश ने की।समारोह में बोलते हुए लखनऊ के उपन्यासकार वीरेंद्र सारंग ने कवि राकेश  की कविताओं की सहजता की प्रशंसा की। बलरामपुर के कवि-लेखक और संगीत मर्मी डॉ.प्रकाश चन्द्र गिरि ने 'शब्दों का देश' की कुछ कविताओं के माध्यम से राकेश मिश्र की रचना प्रक्रिया पर बातें रखीं। कहा कि ऐसे समय में जब हिंदी पाठक कविता से दूर हो रहे हैं तब यह आश्चर्यजनक है कि राकेश जी के पिछले तीन वर्षों में चार संग्रह आ चुके हैं।



लेखक डॉ.मधुसूदन उपाध्याय ने कहा कि इनकी कविताएं द्वैत से अद्वैत की ओर जाती हैं। 'जनसन्देश' के संपादक और कवि सुभाष राय ने कोरोना काल में राकेश जी द्वारा प्रशासनिक दायित्वों के तहत संवेदनशीलता के साथ लोगों की मदद करने की प्रशंसा की।
'इंडिया इनसाइड' के संपादक अरुण सिंह ने राकेश जी लघुकाय कविताओं की प्रशंसा की।उपन्यासकार बालेंदु द्विवेदी ने कवि मिश्र की कविताओं में मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा की सार्थकता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे  उपन्यासकार अखिलेश ने विस्तार से 'शब्दों का देश' की कविताओं पर चर्चा की।
पुस्तक मेले के इस आयोजन में नगर के अनेक प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार और सुधी साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। संचालन  मनोज पाण्डेय ने किया ।

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