आ जाओ तुम नंदन वन में। 
सुना पड़ा संसार तुम बिन
न् फूटी आशा की किरणे
गहरा तम है छाया जग में
हटा अन्धेरा ज्योति भर दो
झिल मिल कर दो स्याह् वन में

राम कहन्-------------------
आज मात पिता का आदर है कहाँ
जो तुमने कभी निभाये थे
आज आदर्श न् नई पीढ़ी में
जो मर्यादा पुरषोत्तम के
वो आदर्श राम् जगाओ वर्तमान में




राम कहाँ?-----------+
हरण हुआ था सीता का जब
हुई अपमानित् नारी थी
आज धरा पर रावण सैकड़ो
तिरषकृत करते सीता को
मान बड़ाओ नारी का तुम
आ जाओ पावन धारणी में
राम कहाँ?--------------
आई है फिर विजया दशमी 
असत्य पर सत्य की जीत
जो हमको सिखलाती है
किंतु आज जीत नहीं न्याय की
सम्मानित् होता अन्यायी
हटा अनीति विजय दिलाओ
सच् की तुम पावन गंगा में
राम कहाँ?-----------++

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