अपने साहित्य के बूते आज भी ज़िंदा हैं प्रेमचंदः प्रो.राजेंद्र कुमार


प्रयागराज। महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि पर शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर स्थित प्रेमचंद की प्रतिमा पर साहित्यकारों और बुद्धजीवियों ने माल्यार्पण कर उनके साहित्य और समाज के योगदान को रेखांकित किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा प्रेमचंद की मूर्ति में ज़िंदगी का मूर्त इतिहास है और प्रेमचंद आज भारतीय साहित्य और समाज दोनों के लिए बहुत ज़रूरी हैं। वरिष्ठ आलोचक व पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मुश्ताक अली ने कहा कि विकास और भौतिकता की दौड़ में हम प्रेमचंद की विरासत को भूलते जा रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह बघेल ने कहा कि आज के लेखकों को प्रेमचंद से सीख लेने की आवश्यकता है और रचनाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज मूल्यों का सबसे अधिक क्षरण हो रहा है जिसे बचाने की आवश्यकता है। हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर व आलोचक डॉ. कुमार वीरेंद्र ने कहा कि प्रेमचंद कई पीढ़ियों को अपने साहित्य के माध्यम से संवेदना के स्तर पर जोड़ते हैं। इनके अलावा हिंदी विभाग की डॉक्टर अमृता, डॉ. रज्जू भैय्या विश्विद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष कुमार सिंह और इविवि हिंदी विभाग के डॉ. दीनानाथ मौर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर डॉ. अनिल यादव, अवनीश यादव, पूरन चंद तिवारी, सर्वेश यादव, योगेंद्र कुमार, सीएल शर्मा, एसएस सिंह, अतुल कुमार, शिवांक त्रिपाठी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।


No comments:

Post a Comment

Popular Posts