डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह : विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये लोगों को किया जा रहा जागरूक

 सीएमओ कार्यालय में चला हस्ताक्षर अभियान

नोएडा, 23 सितम्बर 2021 ।जनपद में ‘डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह’ चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनमानस को अल्जाइमर्स एवं डिमेंशिया के बारे में जागरूक करने के लिए विविध कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में बृहस्पतिवार को सेक्टर 39 नोएडा स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय प्रांगण में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह 26 सितम्बर तक चलेगा।


मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील कुमार शर्मा ने पोस्टर पर अपने हस्ताक्षर कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. ललित कुमार ने डिमेंशिया के लक्षण बताये। उन्होंने कहा भूल जाना, जरूरी निर्णय न ले पाना, छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान न कर पाना, व्यक्तित्व में बदलाव, मूड या व्यवहार का बदलना आदि डिमेंशिया के लक्षण हैं। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भारत भूषण ने भी डिमेंशिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पोस्टर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी शशि कुमारी, मनोचिकित्सक डा. तनूजा गुप्ता, मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ की टीम, एनसीडी, एनडीपीसी एवं कार्यालय के चिकित्सा अधिकारियों ने अपनी टिप्पणी लिखकर हस्ताक्षर किये। इसी क्रम में बुधवार को राजकीय डिग्री कालेज में मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ की टीम ने जनजागरूकता के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया।


संगोष्ठी में मनोचिकित्सक डा. तनूजा गुप्ता, साइकेट्रिस्ट नीति सिंह, स्टाफ नर्स सोनी आदि ने अल्जाइमर्स-डिमेंशिया की पहचान, बचाव और उपचार के बारे में बताया। संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि बुजुर्ग रिटायरमेंट के बाद भी अपने आपको सक्रिय रखकर अल्जाइमर्स-डिमेंशिया से बच सकते हैं।  डिमेंशिया का बड़ा कारण यह है कि उम्र के इस पड़ाव पर लोग दिमागी कसरत बंद कर देते हैं। सभी ने अल्जाइमर्स की जल्दी पहचान पर जोर दिया। वक्ताओं ने कहा कि अल्जाइमर से बचाव के लिए जरूरी है कि बुजुर्ग एक्टिव बने रहें। रोजाना योग और व्यायाम करने के अलावा अखबार पढ़ें। बेहतर हो कि रिटायरमेंट के बाद बुजुर्ग घर में बच्चों को पढ़ाएं। इससे दो काम होंगे, बुजुर्गों का मानसिक व्यायाम होने के साथ घर में उनकी उपयोगिता भी बनी रहेगी और ऐसे में परिजन उनके साथ आत्मीय रूप से भी जुड़े रहेंगे। दरअसल, आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक आयु में होने वाली इस बीमारी का बहुत बड़ा कारण बुजुर्गों का रिटायरमेंट के बाद निष्क्रिय हो जाना और परिवार में उपेक्षित हो जाना भी है। वक्ताओं ने उपस्थित लोगों से अपने बुजुर्गों का ख्याल रखने की अपील की। संगोष्ठी में डिग्री कालेज के अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के आयोजन में राजकीय डिग्री कालेज की अध्यापिका डा. शालिनी सोनी का विशेष योगदान रहा। 

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