- योगेश कुमार गोयल

उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश तक कई राज्य इस समय वायरल बुखार और डेंगू के कहर से जूझ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में तो रहस्यमयी मानी जा रही बीमारी के अधिकांश मामलों में बहुत से मरीजों में अब डेंगू की पुष्टि हुई है। डेंगू और वायरल बुखार से अभीतक विभिन्न राज्यों में सैंकड़ों मरीजों की मौत हो चुकी है। देश में प्रायः मानसून के समय जुलाई से अक्तूबर के दौरान डेंगू के सर्वाधिक मामले सामने आते हैं।



दरअसल मानसून के साथ डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के पनपने का मौसम भी शुरू होता है, इसीलिए इस बीमारी को लेकर लोगों में व्यापक जागरूकता फैलाने की जरूरत की महसूस की जाती है लेकिन इस मामले में हर साल सरकारी तंत्र का बेहद लचर रवैया सामने आता रहा है, जिस कारण देखते ही देखते डेंगू का प्रकोप एक-एक कई राज्यों को अपनी चपेट में ले लेता है। डेंगू प्रतिवर्ष खासकर बारिश के मौसम में लोगों को निशाना बनाता है और पिछले साल भी इसके कारण सैंकड़ों लोगों की मौत हुई थी। देश के अनेक राज्यों में अब हर साल इसी प्रकार डेंगू का कहर देखा जाने लगा है, हजारों लोग डेंगू से पीड़ित होकर अस्पतालों में भर्ती होते हैं, जिनमें से कई दर्जन लोग मौत के मुंह में भी समा जाते हैं। दरअसल डेंगू आज के समय में ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। यह घातक बीमारियों में से एक है, जिसका यदि समय से इलाज न मिले तो यह जानलेवा हो सकता है।
कई राज्यों में डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए मौजूदा समय में डेंगू से बचाव को लेकर अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि कोविड काल में डेंगू सहित अन्य बीमारियों के जोखिम को नजरअंदाज करना काफी खतरनाक हो सकता है। कोरोना के इस कठिन दौर में अगर डेंगू जैसी बीमारी भी खतरनाक रूप धारण करती है तो पहले ही जरूरत से ज्यादा बोझ झेल रहा हमारा स्वास्थ्य ढांचा कोरोना और डेंगू से एकसाथ निबटने में पूरी तरह चरमरा जाएगा। हालांकि डेंगू की दस्तक हर साल सुनाई पड़ती है किन्तु हर तीन-चार वर्ष के अंतराल पर जब यह एक महामारी के रूप में उभरता है, तभी हमारी सरकारें तथा स्थानीय प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागते हैं। डेंगू की दस्तक के बाद डॉक्टरों व प्रशासन द्वारा आम जनता को कुछ हिदायतें दी जाती हैं लेकिन डॉक्टर व प्रशासन इस मामले में खुद कितने लापरवाह रहे हैं, इसका उदाहरण डेंगू फैलने के बाद भी कमोबेश सभी राज्यों में जगह-जगह फैले कचरे और गंदगी के ढेर तथा विभिन्न अस्पतालों में सही तरीके से साफ-सफाई न होने और अस्पतालों में भी मच्छरों का प्रकोप देखकर स्पष्ट मिलता रहा है। प्रशासनिक लापरवाही का आलम यही रहता है कि ऐसी कोई बीमारी फैलने के बाद एक-दूसरे पर दोषारोपण कर जिम्मेदारी से बचने की होड़ दिखाई देती है।
डेंगू का प्रकोप अब पहले के मुकाबले और भी भयावह इसलिए होता जा रहा है क्योंकि अब डेंगू के कई ऐसे मरीज भी देखे जाने लगे हैं, जिनमें डेंगू के अलावा मलेरिया या अन्य बीमारियों के भी लक्षण होते हैं और इन बीमारियों के एक साथ धावा बोलने से कुछ मामलों में स्थिति खतरनाक हो जाती है।
डेंगू के अधिकांश लक्षण मलेरिया से मिलते-जुलते होते हैं लेकिन कुछ लक्षण अलग भी होते हैं। तेज बुखार, गले में खराश, ठंड लगना, बहुत तेज सिरदर्द, थकावट, कमर व आंखों की पुतलियों में दर्द, मसूडों, नाक, गुदा व मूत्र नलिका से खून आना, मितली व उल्टी आना, मांसपेशियों व जोड़ों में असहनीय दर्द, हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि, शरीर पर लाल चकते (खासकर छाती पर लाल-लाल दाने उभर आना), रक्त प्लेटलेट (बिम्बाणुओं) की संख्या में भारी गिरावट इत्यादि डेंगू के प्रमुख लक्षण हैं।
बीमारी कोई भी हो, उसके उपचार से बेहतर उससे बचाव है और डेंगू के मामले में तो बचाव ही सबसे बड़ा हथियार माना गया है। इसीलिए लोगों को इसके बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है क्योंकि उचित सावधानियां और सतर्कता बरतकर ही इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। घर की साफ-सफाई का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है। आपके घर या आसपास के क्षेत्र में डेंगू का प्रकोप न हो, इसके लिए जरूरी है कि मच्छरों के उन्मूलन का विशेष प्रयास हो।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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