भीषण गर्मी और सूखे की समस्या के बाद जब बरसात का आगमन होता है तो न सिर्फ प्रकृति खिल उठती है बल्कि लोगों के चेहरों पर भी मुस्कुराहट लौट आती है लेकिन साथ ही जगह-जगह जल भराव से उत्पन्न गंदगी के कारण बड़ी संख्या में जीवाणु, विषाणु, मच्छर, मक्खी, झींगुर, कीड़े-मकोड़े पैदा हो जाते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बन जाते हैं। इन बरसाती जीवों के काटने से मनुष्य डेंगू, कालाजार, मलेरिया, पीत ज्वर से पीडि़त हो जाता है। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. मधुसूदन शर्मा के शब्दों में, बरसात का मौसम विभिन्न बीमारियों का अनचाहा बुलावा है। यदि साफ-सफाई न रखी जाए और बरसात के चलते जल भराव, गंदगी पनपती रहे तो बरसाती जीव पैदा हो ही जाते हैं जिनके काटने से मनुष्य में विभिन्न बीमारियां घर कर जाती हैं। उनकी राय में दूषित जल (जो सामान्यत: बरसात में हो जाता है) का सेवन मनुष्य के लिए घातक सिद्ध हो जाता है और वह विभिन्न पेट के रोगों से पीडि़त होने के अलावा चर्म रोगों का भी शिकार बन सकता है।
डॉ. मधुसूदन बताते हैं कि बरसात में गर्म आर्द्र वातावरण के कारण घमौरियां निकलने लगती हैं, वहीं आंख दुखने की बीमारी (कंजक्टिवाइटिस) प्राय: हो जाती है। बरसात में स्वस्थ कैसे रहें? इसके लिए कुछ सुझाव निम्न प्रकार हैं।
- बरसात में जल भराव न होने दें। जहां भी जल भराव की समस्या हो, तत्काल वहां से जल निकासी कराएं।
- नालियों को ढक कर रखें तथा समय-समय पर नाली की सफाई करते रहें।
- घर के आस-पास कूड़े करकट के ढेर न बनाएं और न ही कीचड़-गंदगी पनपने दें।
- रात में पूरी बाजू की कमीज पाजामा पहनकर ही सोए अन्यथा मच्छरों के काटने से मलेरिया हो सकता है। मच्छरों से बचने के लिए मच्छर रोधी क्रीम लगाएं, मैट्स का प्रयोग करें या फिर कीटनाशक दवाई का छिड़काव करा लें।
- घर की सफाई पर विशेष ध्यान दें। जल,दूध इत्यादि पेय पदार्थों व भोजन सामग्री को ढक कर रखें अन्यथा मक्खियों के प्रकोप से खाद्य सामग्री दूषित हो सकती है जिससे हैजा, पीलिया, डायरिया, आंत्रशोथ जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
- बाजार में खोमचों व ठेलों पर खुले में रखे खाद्य पदार्थों को न खाएं।
- शुद्ध ताजा व गर्म भोजन ही करें तथा मांसाहारी भोजन से परहेज रखें।
- पानी उबालकर ही पिएं। दिन में एक-दो बार नींबू पानी पीने से लाभ होता है।
- भीगे व तंग कपड़े पहनने से बचें अन्यथा त्वचा रोग हो सकता है।
- बरसात में एक-दूसरे का रूमाल, तौलिया इस्तेमाल न करें।
- श्रीगोपाल 'नारसन '

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