- डॉ. जगदीश सिंह दीक्षित
संयुक्त महामंत्री एवं प्रभारी उच्च शिक्षा।
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह शिक्षा को शिक्षकों एवं जनता के द्वार तक पहुंचाने का कार्य किया। वह युवाओं, गरीब, दलित, वंचित, अति पिछड़ों के प्रमुख झंडाबरदार, हिन्दुत्व के रक्षक, शिक्षा एवं शिक्षकों के लिए अभूतपूर्व कार्य करने वाले, नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए कानून बनाकर उसे अपराध के श्रेणी में रखने वाले, भ्रष्टाचार को कभी भी अपने पूरे राजनैतिक जीवन में स्थान न देने वाले विशिष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे।
उनके लिए सत्ता की कुर्सी नहीं बल्कि हिन्दुत्व और प्रभु श्रीराम ही उनके लिए हमेशा सर्वाेपरि रहे। इसके लिए उन्होंने अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक छोड़ दी। कल्याण सिंह 24 जून 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया था, जिसके लिए उस समय के शिक्षक एवं जन आज भी उन्हें याद करता है। उन्होंने उन लोगों को राहत दी जो 20 वर्षों से बीटीसी करके बेरोजगारी का दंश झेल रहे थे। ऐसे कई हजार लोगों को उनके ही जनपद ही नहीं बल्कि उनके विकास खंड में ही प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापक नियुक्त किया। आगे चलकर उन्होंने बीएड डिग्री धारकों को भी जनपद स्तर पर ही आवेदन लेकर बिना किसी तरह के भ्रष्टाचार के शिक्षक बनाया। उनके इस कार्य से उस समय तक स्थानान्तरण की कोई समस्या ही नहीं।
आज यदि कल्याण सिंह की नीतियों का अनुसरण उत्तर प्रदेश की सरकार कर लेती तो बेसिक शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों को स्थानान्तरण आदि की समस्या का दंश नहीं झेलना पड़ता । कल्याण सिंह ने नकल रोकने के लिए कड़ा अपराधिक कानून बनाकर नकल को रोकने का काम भी किया। कल्याण सिंह जनसंघ काल से ही राजनीति में आए थे। एक–एक कार्यकर्ता को जानते और पहचानते थे।
मुझे याद है कि 1980 के दशक में कल्याण सिंह सार्वजिनक सभाओं में जब बोलने के लिए खड़े होते थे तो उनके मुखारविंद से पहले यही निकलता था कि – आज भी भारत में दो भारत है । एक इण्डिया और दूसरा हिन्दुस्तान। इण्डिया में दस प्रतिशत वे लोग रहते हैं जिनके पास अपार संपत्ति और बड़ी–बड़ी अट्टालिकाएं हैं, जिनके यहाँ पलने वाले श्वान भी मक्खन लगा टोस्ट खाते हैं। मोटे–मोटे गद्दों पर सोते हैं। नब्बे प्रतिशत भारतीय हिन्दुस्तान में रहते हैं । ये वे लोग हैं जो गरीब, दलित, वंचित, शोषित, आदिवासी समाज से आते हैं। जिनके पास न तो तन ढकने के लिए कपड़े हैं और न ही दो जून की रोटी है। आधे पेट खाकर सो जाते हैं।
कल्याण सिंह जी ऐसे लोगों के दर्द को बखूबी समझते थे । कारण भी था । वे खुद ही ऐसे ही समाज से थे। मेरी तो छह दिसंबर को तथाकथित बाबरी मस्जिद गिरने के बाद गाजीपुर में कार्यकर्ताओं की एक बैठक में उनसे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा पर काफी बहस भी हुई थी।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ यूपी के पूर्व अध्यक्ष एवं संरक्षक डॉ. दीनानाथ सिंह ने बताया कि उनका काशी से काफी लगाव था। उनकी कई बैठकों का डॉ. दीनानाथ सिंह ने संचालन भी किया था। उनको वे व्यक्तिगत रूप से जानते और पहचानते थे । डॉ. सिंह ने बताया कि कल्याण सिंह का स्व. अमरनाथ सिंह यादव, भाई श्यामदेव राय चौधरी, पूर्व वित्त मंत्री स्व. हरीश चन्द्र श्रीवास्तव, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व गृहमंत्री, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, पूर्व मंत्री एवं भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह से व्यक्तिगत संबंध थे। वे बड़े ही साफगोई से अपनी बात को लोगों के बीच में रखते थे। आज कल्याण सिंह जी हम सबके बीच नहीं हैं, लेकिन पूरा राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ यूपी का कुनबा उनको शत–शत नमन करते हुए अपनी श्रद्धांजली अर्पित करता है।
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