मेरठ। आज मानसून की पहली बारिश हुई। जिसमें पूरा मेरठ महानगर डूब गया। नगर निगम और प्रशासन का करोड़ों का बजट और सिस्टम के दावे सब इस बारिश में बह गए। पश्चिमी उप्र की सबसे बड़ी दवा मंडी खैरनगर की हालत तो देखते ही बनती थी। पूरा खैरनगर ऐसा लग रहा था जैसे बाढ़ का सैलाब आ गया हो।  
ये हाल सिर्फ मेरठ महानगर का ही नहीं ​बल्कि पूरे जनपद का था। आज मानसून की ही बारिश में नगर निगम से लेकर ग्राम पंचायतों के इंतजाम बारिश में बह गए। बरसात के पानी में नाला सफाई के सभी दावे सड़क पर डूबते दिखाई दिए। पानी महानगर के प्रमुख बाजारों की दुकानों और घरों के अंदर घुस गया। मानसून के पहली बारिश में आम आदमी से लेकर व्यापारी और पुलिसकर्मी भी परेशान दिखे। नगर निगम के सामने का थाना देहली गेट हो या फिर थाना ब्रहमपुरी। दोनों की दुुुुुुर्दाशा देखते ही बनती थी। था।

जिसके चलते करीब 4 घंटे तक थाने के कर्मचारी भीतर ही बैठे रहे और पानी निकलने का इंतजार करते रहे। कोरोना की मार में टूट चुके लोग अपने प्रयासों से घरों के अंदर से पानी निकालते रहे। गलियां जहां तालाब बनती दिखाई दी वहीं कई बाजारों में जलस्तर दुकानों के भीतर तक घुस चुका था। 

बारिश पर खुलती है दांवों की हकीकत  

प्रति वर्ष मानसून आने से पहले नालों की सफाई के बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन मानसून की पहली ही बारिश में अधिकारियों के इन दांवों की पोल खुलती है। पिछले कई दशकों में सरकारें आई और गई। जल निकासी के प्रबंधन पर अरबो रुपया पानी की तरह बहाया जाता है लेकिन सब कागजों में होता है। बरसात के मौसम में नतीजा वहीं ढाक के तीन पात वाला होता है। 
हिंदुत्व की राजनीति को धार देने वाला आरएसएस का प्रमुख केंद भी रहा लबालब
 
आज बरसात के पहले ही दिन आरएसएस के इस कार्यालय के भीतर और बाहर पानी लबालब हो गया। कार्यालय में रहने वाले आरएसएस के पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों को भी प्रथम तल में शरण लेनी पड़ी।

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