Meerut।चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव  मंथन सेमिनार श्रृंखला के अंतर्गत “आजादी के 75 वर्ष और आगामी 25 वर्ष  “यथार्थ और स्वप्न :  संदर्भ राजनीतिक पक्ष” विषय पर मंथन सेमिनार आयोजित किया गया। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रति कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रोफेसर वाई. विमला ने कहा कि भारतीय इतिहास समृद्ध है और हम अपने स्वर्णिम भविष्य की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा बच्चों को पाठ्यक्रमों में ऐसी पुस्तकें पढ़ाई जानी चाहिए जिससे उनमें आत्म गौरव आए ।ऐसे पाठ्यक्रम प्राथमिक शिक्षा से ही जोड़े जाने चाहिए जिनसे बच्चों में आत्म गौरव और आत्म बोध बढे़।
कार्यक्रम में वक्तव्य देते हुए विशिष्ट अतिथि, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा कि प्रत्येक भारतीय को अपना दायित्व समझना होगा और स्वतंत्रता के बाद भारत में अनेक क्षेत्रों में जो उन्नति हुई है और एक जो वैज्ञानिक समाज बना है उसके बारे में जानना होगा। हमें आजादी कैसे मिली इस पर अनेक अध्ययन हुए हैं जो पूर्व में इतिहास लिखा गया, उसमें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल व्यक्तित्व तथा महत्वपूर्ण आंदोलनों को सही तरह से प्रस्तुत नहीं किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के 50 साल तक शिक्षा व्यवस्था और इतिहास रचना को लेकर अनेक विवाद थे उसमें पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकों का नियोजन ठीक से नहीं हुआ । स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारतीय इतिहासकारों का दायित्व है कि सही इतिहास लिखें। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1498 से निरंतर चलता रहा किंतु उसको सही रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया। इसमें पिछड़ों, महिलाओं, वनवासियों की भूमिका का उल्लेख भी नहीं किया गया। अब वह इतिहास पुनः लिखा जाना अपेक्षित है । स्वतंत्रता  आंदोलन के इन संघर्षों को नई पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा जिससे वह स्वतंत्रता संग्राम से परिचित हो सके।
कार्यक्रम में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रोफेसर के. रत्नम ने कहा कि समाज का आज प्रत्येक वर्ग अमीर- गरीब, महिला-पुरुष स्व की पुनर्स्थापना में क्रियाशील दिखाई देता है किंतु मुगल साम्राज्य के पतन के बाद जिस प्रकार का विमर्श राष्ट्र के समक्ष रखा गया है, उसको विशेष रूप से नए सिरे से अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने मथुरा, मेरठ, बामनोली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों की 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका का जिक्र किया और कहा कि ऐसे व्यक्तियों की लंबी सूची है जिनको इतिहास में शामिल किया जाना आवश्यक है।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कला संकाय अध्यक्ष प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी ने किया उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के संदर्भ में ऐतिहासिक और सामाजिक पक्ष और सेमिनार की उपयोगिता पर चर्चा की और राष्ट्रीय स्तर पर आजादी के अमृत महोत्सव के आयोजन के संबंध में जानकारी दी।
कार्यक्रम में अतिथि परिचय देते हुए प्रो. वीरपाल सिंह ने कहा कि जे.नंद कुमार राष्ट्रवादी चिंतक हैं और उनके नेतृत्व में प्रज्ञा प्रवाह के माध्यम से राष्ट्रीय जागरण का कार्य किया जा रहा है। 
अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रोo रूप नारायण, कार्यक्रम सह.संयोजक एवं आचार्य वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया। प्रो. रूपनारायण ने कहा कि भारतीय इतिहास को फिर से लिखे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रतिभागियों एवं सभी उपस्थित सदस्यों को धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रो० ए॰के॰ चौबे, प्रो० ए॰वी॰कौर, डॉ० अलका तिवारी, प्रो आराधना, डॉ॰ अंजू, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डा० जे॰एस॰ भारद्वाज, प्रो. विघ्नेश त्यागी, प्रो॰ विजय जयसवाल, डॉ॰ अनिल मलिक, डॉ॰ अनिल गौतम एवं विश्वविद्यालय अधिकारी, शिक्षक, एवं संबद्ध महाविद्यालय के प्राचार्य, शिक्षक, छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की।

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