चिकनाई-रहित दूध और उससे बनी चीजें या सोयाबीन का दूध सेरोटोनिन हार्मोन स्रावित करता है जिससे चित्त प्रफुल्ल रहता है।
पत्तेदार सब्जियों और बादाम में विटामिन बी पाया जाता है। ये एंटीआक्सीडेंट में समृद्ध होते हैं।
अपने रोजमर्रा के आहार में फलों का रस और आम का पन्ना शामिल करें। इनमें पोटेशियम काफी मात्र में होता है।रंगीन फल सब्जियां व दालें सेरोटोनिन निष्कासित करते हैं। यह हार्मोन मूड अच्छा रखता है। चीनी कम से कम लें।ठंडी नींबू की शिकंजी, अदरक व शहद मिलाकर पिएं। खजूर, आलूबुखारे आदि खाने के बाद उसकी गुठली देर तक मुंह में रख इधर उधर घुमाते रहें। इससे मुंह का व्यायाम भी होगा और स्ट्रेस से भी निजात मिलेगी।
आंखों को दावत दें:-
फूलों की सुंदरता मन में बसाने की कला सीखें। वृक्षों की हरियाली, चिडिय़ों की मासूम हरकतें निहारें। कलकल करते झरनों को देखें, जब भी मौका मिले। नीले आसमान में तिरते बादलों का तिरना देखें। चंद्रमा की ठंडक को महसूस करें।
लाल गुलमोहर से लदे पेड़ कितने सुंदर लगते हैं। बोगनवेलिया के समूह तपती धूप में आंखों को राहत देते हैं। बैंगनी मॉर्निग ग्लोटी सुबह सुहावनी बना देती हैं कुछ वक्त इनके सान्निध्य में बिताकर तो देखें। आज इस बात को समझने उन पर अमल करने की जरूरत ज्यादा है। स्ट्रेस के लिए दवा की गोलियां गटकना स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने जैसा होगा।
ये भी कर के देखें:-
धीरे-धीरे गहरी सांस लें। आप काफी हल्का महसूस करेंगे।
थेरेपिस्ट अशोक बत्रा कहते हैं कि आप अपने पास सप्त या अष्टमुखी रूद्राक्ष रखें। इससे बहुत सुकून मिलेगा।
जरा भी दबाव महसूस होने पर बांहें, गर्दन, कंधे, पैरों को स्ट्रैच करें। उन्हें घुमाएं। इस तरह खून का दौरा भी बढ़ेगा। बॉडी एक्टिवेट होगी मोबिलिटी बढ़ेगी। आलस्य दूर होगा। जितनी बार उठकर चल सकते हैं चलें। संभव हो तो सीढिय़ां चढ़ें उतरें।
गुलाबजल में रूई भिगोकर कुछ देर के लिए आंखें बंद कर उन पर रखें। लेट जाएं 15, 20  मिनट का आराम आपको पूरी तरह रिलेक्स कर देगा।
खुशबू है सदा के लिए:-
आजकल एरोमाथेरेपी बहुत चलन में है। खुशबू में वास्तव में नये प्राण डाल देने की शक्ति होती है। खुशबूदार मोमबत्तियां सारे वातावरण को महकाकर रोमांटिक बना देती हैं। अगरबत्ती की खुशबू एक पवित्र वातावरण देती है।
गुलाब, चंपा, चमेली, केवड़ा, मोगरा, जूही, रजनीगंधा की महक से अवसाद छंट जाता है। तनाव छितर जाता है। रातरानी की महक क्लांत मन को राहत देती है। मन को उमंगित कर देती है।
 एरोमाथेरेपिस्ट  के अनुसार आप नहाने के पानी में एक बूंद पिपरमेंट या रोजमेरी डाल सकते हैं। बादाम के तेल या सूरजमुखी के तेल में इन्हें मिला कर आप बदन पर भी लगा सकते हैं।
एक टिश्यु पेपर पर एक बूंद चंदन का तेल, नेरोली लेमन डालकर उसे सूंघे। इसी तरह इन्हें मोमबत्ती पर लगाकर भी आजमाइए। ए सी के छेदों पर लगाने से भी खूशबूभरा वातावरण मिल सकता है।
भावनाओं की अभिव्यक्ति से गुरेज न करें:-
कई लोग बड़े घुन्ने किस्म के होते हैं। वे अपने को बहुत होशियार समझ दूसरों की बातों से मन बहलाने में विश्वास रखते हैं। उनका फंडा यह रहता है कि न बोलेंगे तो कोई कमजोरी नहीं पकड़ी जायेगी लेकिन वे यह नहीं जानते कि बॉटल्ड अप फीलिंग्स भीतर ही भीतर कुंठाओं को जन्म देती है।
दिल खोलकर हंसने से सारा टेंशन दूर हो जाती है। फेफड़ों का व्यायाम होता है। सकारात्मक सोच और छोटी छोटी बातों में खुशियां ढूंढने की कला मूड बनाए रहती है।
मस्तिष्क की शांति के लिए:-
योगा, मेडिटेशन, पूजा, और मालिश मन शांत रखते हैं। म्यूजिक बहुत रिलेक्स करता है, यह सभी जानते हैं। पढऩे की आदत भी एक अच्छी हॉबी है। यह मन में एकाग्रता लाती है।
वास्तु शास्त्र के पंडित बहुत कुछ विज्ञापित करते हैं। कुछ बातें सिंपल लॉजिक के कारण अपनाई जा सकती हैं लेकिन तभी जब वे सुविधाजनक हों मगर ज्यादातर बातें सेंसलैस हैं और अमीरों के चोंचले तथा व्यापारिक दृष्टि से प्रमोट की जाती है। इनमें कोई दम नहीं और सिर्फ लोगों के अंधविश्वास को भुनाया जाने वाला कार्य है। स्ट्रैस दूर करने के लिए नेचर से बढ़कर कोई नहीं।


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