मेरठ। गंगा के किनारे और मेरठ सहित विभिन्न जिलों की सीमाओं तक फैली हस्तिनापुर सेंचुरी भारत का भूगोल पेपर में शामिल हो गई है। स्नातक स्तर पर छात्र-छात्रा अब हस्तिनापुर सेंचुरी के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। इससे ना केवल हस्तिनापुर सेंचुरी और यहां की जैव विविधता का छात्र-छात्राओं को पता चलेगा बल्कि ईको-टूरिज्म में यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकेगा।
चौधरी चरण सिंह विवि की बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) में यह निर्णय हुआ। कन्वीनर द्वितीय डॉ. अनिता मलिक के अनुसार जियोग्राफी ऑफ इंडिया के पेपर में स्थानीय स्तर पर हस्तिनापुर सेंचुरी को जोड़ा गया है। इसका मकसद छात्र-छात्राओं को स्थानीय स्तर पर जैव विविधता के बारे में अवगत कराना होगा। डॉ.मलिक के अनुसार पेपर में हस्तिनापुर सेंचुरी के बारे में छात्रों को विस्तार से पढ़ने को मिलेगा। डीन आर्ट्स डॉ.एनसी लोहनी, डॉ.ज्योति सिंह, प्रो.सुरेश कुमार बंसल, डॉ.जेपी शर्मा, डॉ.विरेंद्र सिंह, डॉ.प्रदीप कुमार गर्ग, डॉ.राजकुमार गिरि और डॉ.दीपशिखा सहित सभी सदस्य मौजूद रहे।
बत्तख और बटेर पालना सिखाएगा विवि
 विवि में स्नातक कृषि के कीट विज्ञान एवं पशुपालन और दुग्ध विज्ञान विषय में स्टूडेंट को नए सत्र से बत्तख, बटेर और खरगोश पालना भी सिखाया जाएगा। सोमवार को डीन कृषि प्रो.एसएस गौरव की अध्यक्षता में हुई बीओएस में कौशल विकास के तहत चार कोर्स जोड़े गए। डॉ.गौरव के अनुसार छात्रों को व्यवसायिक मौन पालन, व्यवसायिक रेशम कीट पालन, खाद्य सुरक्षा एवं मानक तथा मछली, बत्तख, बटेर एवं खरगोश पालन सिखाया जाएगा। डॉ.गौरव के अनुसार कीट विज्ञान के एक कोर्स में आम, सेब, लीची, पोपुलर, अमरूद, भिंडी, बैंगन और कद्दू वर्गीय फसलों में लगने वाले कीटों को भी पढ़ाया जाएगा। पशुपालन विषय में पशु फॉर्म प्रबंधन, सुअर फॉर्म प्रबंधन भी जोड़े गए हैं। छात्रों को मुर्गियों में होने वाले कुपोषण को भी पढ़ाया जाएगा। दुग्ध विज्ञान में दूध और इससे बने पदार्थों का संगठन, गुणवत्ता, पोषण एवं मूल्य जैसे टॉपिक जोड़े गए हैं। प्रत्येक कोर्स में छात्रों को शैक्षिक-औद्योगिक भ्रमण अनिवार्य होगा।

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