मेरठ। आयुर्वेदिक नुस्खे भी वेदों की देन हैं जिनको हम सब अपनायें तो रोगों से निजात पा सकते हैं। यह कहना है आईआईएमटी लाइफ लाइन हॉस्पिटल की डायटिशियन ज्योति सिंह का जिन्होंने अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों को दवाओं के साथ ऋषि आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन भी नियमित रूप से कराया। डायटिशियन ज्योति सिंह का कहना है कि कोरोना को हराने के लिये आयुर्वेदिक उपचार की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही। आयुर्वेदिक नुस्खों के साथ बनाये गये ऋषि काढ़ा और दूध ने कोरोना मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास किया और उनके शरीर को संक्रमण का मुकाबला करने में सक्षम बनाया।
डायटिशियन ज्योति सिंह ने बताया कि आईआईएमटी लाइफ लाइन हॉस्पिटल में भर्ती हुए कोरोना मरीजों को आईआईएमटी आयुर्वेदिक चिकित्सालय की लैब में तैयार किया गये 15 जड़ी.बूटी के मिश्रण से बने ऋषि आयुर्वेदिक काढ़े का नियमित सेवन कराया गया। एंटी.इंफ्लामेटरी पेय पदार्थ होने के कारण ऋषि आयुर्वेदिक काढ़े में मिली काला वासा बूटी ने फेफड़ों के संक्रमण को समाप्त करने और मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का अचंभित कर देेने वाला काम किया। आईआईएमटी समूह के चेयरमैन  योगेश मोहन गुप्ता द्वारा कोरोना मरीजों को नि:शुल्क ऋषि आयुर्वेदिक काढ़ा वितरित कराया गया।
डायटिशियन ज्योति सिंह के अनुसार दूध में हल्दी डालने से लाभ मिलता है यह तो हम सभी जानते हैं। मगर आयुर्वेद कहता है कि अगर गाय के दूध में हल्दीए तुलसीए काली मिर्च और अदरक पकाकर पीया जाये तो यह संजीवनी बूटी के समान लाभ पहुंचाता है। इससे अच्छा प्रोटीन व औषधियुक्त पेय पदार्थ कोई और नहीं है। उन्होंने बताया कि गाय के दूध में गुड फैटी एसिड और गुड कोलस्ट्रॉल होता है। गाय का दूध पतला होने के साथ सभी को आसानी से पच जाता है। 

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