राष्ट्रीय शैक्षिक वेबिनार में शिक्षाविदों ने रखे विचार

प्रयागराज । लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व डीन एवं एन.सी.टी.ई. सदस्य प्रो. यूसी वशिष्ठ  ने कहा कि शिक्षक की कार्यशैली उसे सभी परिस्थितियों में उत्कृष्ट बनाने का कार्य करती है।
वह नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय में  ''कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान शिक्षक शिक्षा में चुनौतियां और अवसर'' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक-शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षा इतनी सार्थक नहीं है जितना हम सभी मान रहे हैं। उन्होंने फिनलैंड की शिक्षा व्यवस्था की भी चर्चा की।
बीएचयू के प्रो. पीसी शुक्ला ने कहा कि हमें बिना किसी दबाव के परिस्थितियों से तालमेल बैठाते हुए शिक्षा ग्रहण करने की आवश्यकता है। कुलपति प्रो० राम मोहन पाठक  ने कहा कि कुछ भी हो हमें रीड टू लीड को हमेशा याद रखना चाहिए। हम ऑनलाइन पढ़ें या ऑफलाइन पढ़ें, हम पढ़ें और आगे बढ़ें की बात पर उन्होंने बल दिया। प्रति कुलपति डॉ एससी तिवारी ने कहा कि समाज में शिक्षक शिक्षा सबसे ज्यादा उत्तरदायित्व लेकर समाज को नई दिशा दें l
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलाधिपति जेएन मिश्र ने विद्या ददाति विनयम के सूत्र वाक्य पर प्रकाश डाला। इनके अलावा महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी बिहार के डीन प्रो. आशीष श्रीवास्तव, टीडी पीजी कॉलेज जौनपुर के सह आचार्य डॉ.अजय दुबे, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सह आचार्य डॉ. सुरेंद्र महतो ने अपनी बातें रखी।
आयोजन सचिव प्रोफेसर केके तिवारी ने पूरे वेबीनार की रूपरेखा रखी तथा संयोजक डॉ आलोक मिश्र ने विश्वविद्यालय की पृष्ठभूमि रखी। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव आरएल विश्वकर्मा ने दिया। कार्यक्रम का संचालन सहसंयोजक डॉ. श्रवण कुमार मिश्र ने किया।

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