लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोशल मीडिया टीम में तैनात एक युवक ने लखनऊ में आत्महत्या कर ली है, युवक ने आत्महत्या से पहले दो पेज का सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर शेयर किया था जिसमे मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया टीम में ही शामिल लोगो को अपने उत्पीड़न का दोषी बताया है, युवक ने जिन युवको का अपने पत्र में जिक्र किया है, उनमे से दो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज़िले मुज़फ्फरनगर के एक दैनिक समाचार पत्र से लखनऊ में पत्रकार के रूप में मान्यता लिए हुए है।  पूर्व आईएएस अफसर सूर्यप्रताप सिंह ने इस मामले को लेकर गंभीर आरोप लगाये है , इसी बीच मामला मुख्यमंत्री के दफ्तर से जुड़ा होने के चलते विपक्ष ने भी इस मामले को लेकर मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। 



आपको बता दें कि इन्दिरानगर निवासी पार्थ श्रीवास्तव ने बुधवार शाम को आत्महत्या कर ली। पार्थ ने मरने से पहले सुसाइड नोट लिखकर सोशल मीडिया में ट्वीट किया था। इसमें उसने अपने सहयोगी पुष्पेंद्र सिंह और एक युवती  समेत गोरखपुर के दो लोगों पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए इन लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है।
थाना प्रभारी अजय प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि पार्थ ने अपने कमरे में फांसी लगाई थी। परिजन फंदे से नीचे उतारकर पार्थ को गंभीर हालत में इलाज के लिए लोहिया अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। प्रभारी निरीक्षक का कहना है कि इस संबंध में परिजनो  ने कोई शिकायत नहीं की है। तहरीर मिलने पर छानबीन की जाएगी। हालांकि मृतक की बहन शालिनी ने आरोप लगाया है कि पुलिस उनकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। शालिनी ने बताया कि पार्थ ने खुदकुशी करने से पहले अपनी मौत का कई लोगों को जिम्मेदार ठहराया था।



 इसके बाद उन्होंने इसको लेकर सोशल मीडिया पर ट्वीट भी किया था, लेकिन इसे डि​लीट कर दिया गया है। शालिनी ने सवाल किया  है कि उस ट्वीट को डिलिट किसने किया जबकि उसका फोन भी पुलिस के पास ही था। 
बता दें कि पार्थ श्रीवास्तव ने आत्महत्या से पहले एक ट्वीट किया था जिसमे लिखा था उसकी आत्महत्या नहीं बल्कि क़त्ल है, पार्थ ने इस ट्वीट में  मुख्यमंत्री समेत सूचना विभाग के निदेशक शिशिर कुमार को भी टैग किया था। जिसे उसकी आत्महत्या के बाद हटा  दिया गया है। अपने सुसाइड नोट में पार्थ ने मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया टीम के सहयोगियों पर ही अपनी मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। पार्थ श्रीवास्तव ने इस प्रताड़ना के लिए पुष्पेंद्र सिंह और शैलजा को दोषी बताया है।  इस ट्वीट पर पार्थ ने सीएम योगी को भी ट्वीट किया था और अपनी कंपनी की ऑफिस पॉलिटिक्स के बारे में भी  अवगत कराया था। पार्थ के दोस्त आशीष पांडे ने सोशल मीडिया पर पार्थ के ट्विटर और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए जस्टिस फॉर पार्थ कैंपेन  शुरू किया है। इंदिरा नगर थाने के इंस्पेक्टर अजय प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि पुलिस को पार्थ का सुसाइड नोट नहीं मिला है।
क्या लिखा था सुसाइड नोट में?
पार्थ ने लिखा है कि प्रणय भैया ने मुझसे कहा था कि मुझसे बात करेंगे पर उन्होंने पुष्पेंद्र भैया से रात 12:40 पर क्रॉस कॉल करके उनसे अपनी सफाई दिलवाई। पुष्पेंद्र भैया ने जानबूझकर व्हाट्सएप कॉल किया ताकि उनकी बातें रिकॉर्ड न हो सकें। कॉल करके भी उन्होंने सारा दोष संतोष भैया पर डाला और इस बात का यकीन दिलाया कि वह मेरे शुभचिंतक ही रहे हैं। जबकि सत्य तो यह है कि वह सिर्फ और सिर्फ शैलजा जी के शुभचिंतक रहे हैं। हमेशा से पुष्पेंद्र भैया शैलजा जी के अलावा कभी और किसी के लिए चिंतित नहीं रहे। बाकियों की छोटी से छोटी गलती पर पुष्पेंद्र भैया हमेशा नाराज होते रहे। शैलजा जी और महेंद्र भैया सिर्फ उनका गुणगान करते रहें। पढ़े पूरा सुसाइड नोट-


रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट कर पार्थ के लिए मांगा इंसाफ

इस मामले में रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट कर कहा, आदेश मिलते ही नफरत फैलाने वाले विभाग की कार्यशैली ने एक बच्चे को इस कदर तड़पाया कि  उसने अपनी जान ही ले ली। पार्थ भले ही मुझे अपशब्द कहता हो, पर मैं जानता हूँ यह उसके निजी विचार नहीं थे, यह उससे ज़बरदस्ती कहलवाया जाता था। मैं उस बच्चे के लिए इंसाफ माँगता हूँ @myogiadityanath जी।
बताया जाता है कि पार्थ ने अपने सुसाइड नॉट में जिस पुष्पेंद्र सिंह को आरोपी बनाया है वह भी मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया टीम में ही है और पश्चिमी यूपी के मुज़फ्फरनगर से प्रकाशित होने वाले अख़बार हिंदी दैनिक रोजाना का  लखनऊ में मान्यता प्राप्त पत्रकार है। मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया टीम में ही तैनात प्रणय विक्रम सिंह राठौर को भी इसी अख़बार से लखनऊ में पत्रकार की मान्यता दी हुई है।  पूर्व आईएएस सूर्यप्रताप सिंह ने सवाल उठाया है कि बेसिल कंपनी से तनख्वाह लेकर मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया टीम में शामिल लोगो को आखिर पत्रकार के रूप में मान्यता कैसे दे दी गयी है ?,उन्होंने सवाल किया है कि ये अख़बार किसका है और सीएम की टीम के दो कर्मचारियों को इसने अपना संवाददाता कैसे घोषित किया ?, उन्होंने इस मामले को लेकर जांच की मांग की है और कहा है कि मुज़फ्फरनगर की टीम इस अख़बार की आड़ में सूचना विभाग में हो रहे घोटाले की पूरी पोल खोलेगी। 
इसी बीच इस मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गयी है।  रालोद के प्रशांत कन्नौजिया ने भी इस अख़बार को किये गए विज्ञापन भुगतान के बारे में आरटीआई लगायी है। रालोद ने इस आत्महत्या की पूरी जांच की मांग की है। रालोद ने बाकी सभी मीडिया चैनल को दिए गए भुगतान की भी जानकारी मांगी है। 





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