किसान-मजदूर एकता दिवस के रूप में मनाया

कोविड से मारे गए भारतीय के लिए दो मिनट का मौन रखा



गाजियाबाद, 01 मई, 2021। मई दिवस के मौके पर गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने मजदूरदिवस को किसान-मजदूर एकता दिवस के रूप में मनाया। आयोजन में शामिल सभी ट्रेड यूनियनों, व्यापार मण्डलों और किसान संगठनों द्वारा तीन कृषि कानून वापस कराने, एमएसपी कानून बनाने, निजीकरण तथा चार श्रम कोड का विरोध करने के लिए व्यापक संघर्ष करने की अपील की। किसान मंच से दो मिनट का मौन रखकर कोरोना से मारे गए दो लाख भारतवासियों तथा मई दिवस शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
गाजीपुर आंदोलन कमेटी के सदस्य जगतार सिंह बाजवा ने बताया शनिवार को गाजीपुर बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान मजदूर एकता दिवस का आयोजन किया जो लाॅकडाउन के दमघोटू हालातों, जनवादी अधिकारों पर बढ़ते हमलों, महामारी के बढ़ते प्रकोप और अहंकारी शासन की संवेदनहीनता के माहौल में मनाया जा रहा है। ये नये कानून कारपोरेट पक्षधर, विदेशी कम्पनी पक्षधर ‘सुधार’ अमल कर रहे हैं जो औद्योगिक मजदूरों, किसानों व गरीबों के जीने के अधिकारों पर हमला करते हैं। शिकागो के 1886 के आंदोलन को याद करते हुए, वक्ताओं ने 8 घंटे के कार्य दिवस की मांग और संगठित होने व संघर्ष करने के अधिकार की चर्चा की। इसमें पुलिस फायरिंग में कई मजदूर मारे गए और बाद में सात नेताओं पर फर्जी केस दर्ज करके उन्हें मौत की सजा दी गयी, पर इसके बावजूद आंदोलन जारी रहा।
उन्होंने बताया कि आज भारत सरकार ने ना केवल चार लेबर कोड अमल करके मजदूरों द्वारा न्यूनतम वेतन, मानवीय काम के हालातों, औद्योगिक दुर्घटनाओं से रक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा की कल्याणकारी योजनाओं के मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष के हक पर हमला किया है, उसने पर्यावरण की रक्षा के पैमाने कमजोर करके विनाशकारी उद्योगों को भी छूट दी है। आज बहुत सारे बुद्धिजीवियों को किसानों व मजदूरों के संघर्ष का समर्थन करने के लिए फर्जी केसों में जेल में डाला जा रहा है, जैसा कि 1886 में किया था। वक्ताओं ने स्वस्थ्य, शिक्षा, एलाआईसी, बैंक, रेल आदि का निजीकरण करने की निन्दा की और कहा कि इससे आम जन की परेशानियां बढ जाएंगी।
खेती के तीन काले कानून किसानों द्वारा फसल उगाने की स्वतंत्रता समाप्त कर देंगे, वे कारपोरेट नियंत्रित बाजार से पाबंद हो जाएंगे जिसमें महंगी लागत के सामान खरीदेंगे और फसल सस्ते में बेचने को मजबूर होंगे। यह कानून सरकारी सब्सिडी समाप्त करा देंगी, सरकारी खरीद बंद करा देंगे, सिंचाई का संकट बढ़वा देंगे और राशन व्यवस्था ध्वस्त करके 82 करोड़ देशवासियों को कारपोरेट बाजार से खाना खरीदने को मजबूर करेंगे। इसके बाद खाना जीने के लिए आश्यक वस्तु नहींबचेगा और औद्योगिक विकास का आधार बनेगा।
वक्ताओं ने किसानों व मजदूरों से अपील की कि वे बहादुरी के साथ आगे आकर सरकार को उसकी नीन्द से झंकझोर दें और कोरोना महामारी के चिकित्सीय प्रबंध करने के लिए मजबूर करें। मास्क व सैनिटाईजर बांटने का काम कराएं। बिस्तर, आक्सीजन व दवाओं की कालाबाजारी बंद कराए और कालाबाजारी करने वालों को जेल भेजे। एक व्यापक आंदोलन खड़ा करने की अपील करते हुए आज की सभा को ट्रेड यूनियन नेता इफ्टू के दिल्ली महासचिव राजेश, सीटू एनसीआर उपाध्य़क्ष गंगेश्वर शर्मा, इंकलाबी मजदूर केन्द्र के रोहित, प्रगतिशील महिला संगठन दिल्ली की महासचिव पूनम और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिह जादौन, डा. आशीष मित्तल, डीपी सिंह, बलजिंदर सिह मान, गुरनमीत मांगत, आदि ने संबोधित किया।


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