कोरोना से रिकवरी के दौरान सिर में लगातार दर्द हो सकता है ब्लैक फंगस का शुरुआती लक्षण : डा. अखिलेश मोहन 

मेरठ, 29 मई 2021। कोविड-19 के कई मरीजों में ठीक होने के बाद फंगल इंफेक्शन के मामले देखे जा रहे हैं। वहीं, कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जहां कोरोना से रिकवरी के दौरान ब्लैक फंगस के लक्षण देखे गए। ऐसे में ब्लैक फंगस के लक्षणों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है।


किन लोगों को ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि कोरोना के जो मरीज लंबे समय तक आईसीयू में रहे हैं, जिन्हें बहुत ज्यादा ऑक्सीजन दी गई, जिन्हें स्टेरॉयड की ज्यादा मात्रा दी गई, अथवा ब्लड शुगर की मात्रा बहुत बढ़ गयी हो या फिर जो लोग बिना चिकित्सकीय सलाह के खुद दवा ले रहे हैं, उन लोगों में ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा होता है।
 बरतें सावधानी :-  
लगातार सिर दर्द होना:- कोरोना से रिकवरी के दौरान अगर सिर में लगातार दर्द बना रहता है और आपको एक तरह का दबाव महसूस होता है तो यह ब्लैक फंगस का सबसे शुरुआती लक्षण हो सकता है। फंगस नाक के जरिये दिमाग तक पहुंच सकता है।
चेहरे पर एक तरफ सूजन:-  ब्लैक फंगस की वजह से शरीर में कुछ अलग-अलग लक्षण देखने को मिल सकते हैं। जैसे कि चेहरे के एक तरफ सूजन, दर्द और नीचे की तरफ भारीपन महसूस हो सकता है। नेक्रोसिस की वजह से स्किन लाल हो सकती है। इसे भी ब्लैक फंगस के एक लक्षण के रूप में देखा जाना चाहिए।
ब्लैक फंगस के एक लक्षणों में चेहरे की विकृति भी शामिल है। नाक के चारों ओर काली पपड़ी बनना, चेहरे का रंग खराब होना, आंखों में भारीपन महसूस होना, शरीर में ब्लैक फंगस फैलने का संकेत हो सकता है। ऐसा कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
लापरवाही न बरतें
  सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया अगर मरीज में ब्लैक फंगस के किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो बिना किसी झिझक के चिकित्सक का परार्मश लेकर उपचार करायें। जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
  इनका करें उपाय
  शुगर कंट्रोल :- खून में चीनी की मात्रा बढ़ने नहीं दें। जो लोग डायबिटिक है उन्हें अपने ब्लड शुगर को नियत्रिंत रखने का अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए। जो डायबिटिक नहीं है। लेकिन नियमित तौर पर स्टेरॉइड्स ले रहे है, उन्हें अपना ब्लड शुगर हमेशा चेक करते रहना चाहिए।
 स्टेराइड  गाइडलाइन का करें सख्ती से पालन:- स्टेरॉइड देने को लेकर जारी की गयी गाइडलाइन का पालन करे। उसी के मुताबिक स्टेराइड दिया जाए। स्टेराइड देने से बचें। अगर जरूरत पड़े तो कम डोज दें न कि बहुत ज्यादा। इस तरह की दूसरी दवा भी तभी दी जाए जब बहुत जरूरी हो। 


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