वायल में ओवरफिल डोज का भी कर रहे इस्तेमाल


मेरठ, 24 मई 2021 । जनपद जीरो वैक्सीन वेस्टेज की राह पर है। केरल मॉडल की तरह वेक्सीनेटर्स वैक्सीन की आखिरी बूंद तक का प्रयोग करने में लगे हैं। जिला अस्पताल के टीकाकरण केन्द्रों में वैक्सीन बचाने के प्रयोग के बाद दूसरे केन्द्र भी इस प्रयोग को अमल में ला रहे हैं। ओवरफिल का भी इस्तेमाल वैक्सीन की वेस्टेज बचाने के लिए किया जा रहा है। यानि हर वैक्सीन की वायल में 10 डोज होती हैं। मगर कंपनियां इसमें वैक्सीन की कुछ प्रतिशत मात्रा ज्यादा डालती हैं, जिसे ओवरफिल कहते हैं। टीकाकरण केन्द्र अब इस एक्स्ट्रा डोज का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने कोरोना वैक्सीन की वेस्टेज को कम करने की अपील स्वास्थ्य विभाग से की थी।
ऐसे होता है प्रयोग
जिला अस्पताल के टीकाकरण केन्द्र के नोडल अधिकारी डॉ. विनोद द्विवेदी बताते हैं कि वह और उनकी टीम वैक्सीन की बूंद-बूंद बचाने का पूरा प्रयास कर रही है। वह बताते हैं कि शीशी में बची एक्स्ट्रा डोज को वैक्सीनेटर सुरक्षित रख लेते हैं। कुछ शीशियों की एक्स्ट्रा डोज को मिलाकर एक पूरी डोज बन जाती है, जिसे लाभार्थी को लगाया जाता है। इससे वैक्सीन वेस्ट होने से बच जाती है। डॉ. विनोद द्विवेदी बताते हैं कि ओवरफिल के अलावा उनकी टीम वेस्टेज को खत्म करने के लिए दूसरे कदम भी उठा रही है। इसके तहत अस्पताल में दोपहर दो बजे के बाद नई वायल तभी खोली जाती है, जब टीकाकरण करवाने के लिए 10 लोग उपलब्ध हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि टीकाकरण के लिए उनकी टीम लोगों को लगातार कॉल भी करती रहती है, जिसके चलते उनका टीकाकरण वेस्टेज जीरो रहता है।
कई केन्द्रों ने किया प्रयोग
जिला अस्पताल में जीरो वैक्सीन वेस्टेज का सफल और कुशल प्रयोग होने के बाद अब दूसरे केन्द्र भी इसका प्रयोग करने लगे हैं। जिले में धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में बनी सेंट्रल लाइब्रेरी टीकाकरण केन्द्र एक और दो में भी इसी तरह के प्रयोग हुए हैं। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) भूड़बराल, रोहटा, मवाना, सरधना, पांचली-खुर्द, फफूंडा , राजेन्द्र नगर  में भी जीरो वैक्सीन वेस्टेज की तर्ज पर एक्स्ट्रा वैक्सीन का प्रयोग किया जाने लगा है, जबकि मेरठ में ओवरऑल वैक्सीन वेस्टेज के आंकड़े भी अब माइनस में आने शुरू हो गए हैं।
यह है गणित
वैक्सीन की एक्स्ट्रा डोज का कुशलता के साथ प्रयोग करने की वजह से ही टीकाकरण केन्द्र कम खपत में ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट कर पा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 17 वायल से 178 लोगों को टीका लगाया गया। जबकि अमूमन 17 वायल का प्रयोग 170 लोगों पर ही हो पाता है। एक लाभार्थी को 0.5 एमएल डोज दी जाती है। इसके बाद 5 एमएल की शीशी में जो भी थोड़ी बहुत डोज बचती है उसे इकट्ठा कर अधिक लोगों का टीकाकरण कर लिया जाता है।
“टीकाकरण के दौरान वैक्सीन की कमी शुरू हुई थी। उसके बाद हमने टीम के साथ पूरा एक्शन प्लान तैयार किया। हम नहीं चाहते थे कि कोई निगेटिव फीडबैक मिले। इसलिए पूरी टीम ने योजनाबद्ध तरीके से काम किया। वहीं लगातार टीकाकरण केन्द्रों की मॉनिटरिंग भी इसका एक कारण है।”
डॉ. विनोद द्विवेदी, टीकाकरण नोडल अधिकारी, जिला अस्पताल

21 मई की स्थिति
 टीकाकरण केन्द्र                             लाभार्थी            वायल्स
 सेंट्रल लाइब्रेरी-1 टीकाकरण केन्द्र       207                 19
 सेंट्रल लाइब्रेरी-2 टीकाकरण केन्द्र       217                 20
 भूड़बराल टीकाकरण केन्द्र                  174                 17
 रोहटा टीकाकरण केन्द्र                       169                 16

 मवाना टीकाकरण केन्द्र                   115                  11

 सरधना टीकाकरण केन्द्र                    162                   16
 पांचली-खुर्द टीकाकरण केन्द्र              161                   16
 फफूंडा टीकाकरण केन्द्र                    111                     11


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