डायलिसिस यूनिट में कार्य बहिष्‍कार


लखनऊ। संजय गांधी पीजीआइ में डायलिसिस यूनिट में तैनात सविता अपने सात माह के बच्चे के इलाज के लिए आठ घंटे गिड़गिड़ाती रही, लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। नियम कानून का हवाला देते रहे। बच्चे ने दम तोड़ दिया। इससे नाराज डायलिसिस यूनिट और पीडियाट्रिक गैस्ट्रो के नर्सेज सहित अन्य स्टाफ ने शुक्रवार को सुबह आठ बजे से शुरू होने वाली शिफ्ट में काम करने से मना कर दिया तो संस्थान प्रशासन के अधिकारी सकते में आ गए। 

डायलिसिस के लिए चालीस से अधिक मरीज इंतजार में थे। विभाग के प्रमुख प्रो. नरायान प्रसाद ने पहुंच कर आक्रोशित कर्मचारियों से वार्ता कर बहिष्कार को खत्म करा कर निदेशक से बात करने को कहा। इसके बाद स्टाफ नर्सेज एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा शुक्ला, महामंत्री सुजान सिंह, वीरेंद्र सिंह, अनीता सिंह के आलावा  डायलसि यूनिट के अलावा नर्सेज और स्टाफ प्रशासनिक भवन पहुंच कर निदेशक से इस मामले में दोषी के खिलाफ एक्शन की मांग करते हुए कहा कि यदि कर्मचारियों और उनके आश्रितों के इलाज में हीला-हवाली होती है। यदि समाधान नहीं निकाला गया तो तो हम लोग पूर्ण कार्य बहिष्कार करेंगे। सीमा शुक्ला ने बताया कि निदेशक ने पूरी बात सुनने के बाद इस मामले में एक समिति का गठन कर दिया है जो मामले में दोषी लोगों के खिलाफ एक्शन लेने का आश्वासन दिया है। 

चार दिन पहले भी हुई थी टालने की कोशिश: इससे पहले एचआरएच ओटी की सिस्टर रीता के मां के इलाज के लिए भी कतराते रहे । इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने उन्हें इलाज दिया जिसके बाद उन्होंने सीमा शुक्ला को बताया जिनके हंगामे के बाद बडी मुश्किल से बेड दिया गया। कर्मचारी नेताओं का एक सिस्टम होना चाहिए कब हम लोग व्यक्तिगत रूप से लड़ते रहेंगे। कर्मचारी जो दूसरे के लिए अपना जीवन दांव पर लगा कर वह अपने इलाज के लिए भटक रहा है।

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