मेरठ। लगातार योग अभ्यास के माध्यम से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए बहुत अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं है। चार आसनों को प्रमुखता दी जाए। कुछ महीने के बाद शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी। सूर्य नमस्कार से शरीर स्वस्थ रहता है साथ ही श्वसन तंत्र भी मजबूत होता है। वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य वेद प्रकाश एवं योग एंड नेचरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. आशीष शर्मा का कहना है कि योग से हर बीमारी को रोका जा सकता है। वर्तमान में भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम.विलोम, भ्रामरी और उदगीथ प्राणायाम कर श्वसन तंत्र को मजबूत कर रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। किसी भी बीमारी से बचाव के लिए हर व्यक्ति को जीवन में योग को शामिल करना चाहिए। इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उन्होंने बताया रोजाना नाक में सुबह.शाम तीन.तीन बूंद अणु तेल डालना चाहिए। यह तेल नेजल न्यूकोजा यानि झिल्ली के बीच सुरक्षा कवच का काम करता है। उन्होंने बताया सुबह या शाम को अनुलोम विलोम प्राणायाम करना है। यह फेफड़ों को मजबूत करेगा और दूषित तत्वों को बाहर करेगा। उन्होंने बताया बहुत सारी एंटी वायरल मेडिसिन आयुर्वेद में हैं, जो शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं और कई तरह के रोगों से बचाती हैं। उन्होंने बताया इसमें तुलसी, पुष्कर मूल, पीपली, हल्दी, दालचीनी, वासाचूर्ण, लौंग,पितोपलादी चूर्ण शामिल हैं जो रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। इसके साथ ही अश्वगंधा और गिलोय भी बहुत प्रभावकारी औषधि हैं। इनका चूर्ण, टैबलेट या काढ़ा बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मात्रा चिकित्सक की सलाह से लेनी चाहिए । इसके अलावा बहुत सी आयुर्वेदिक दवा हैं, जिन्हें आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया आयुर्वेद में धूपन का भी बहुत महत्व है। धूपन यानि धूएं का इस्तेमाल। डॉ अग्रवाल के मुताबिक धूपन न सिर्फ वातावरण शुद्ध रखता है बल्कि कीट, पतंगों को भी दूर रखता है। उन्होंने बताया दशांग लेप, जटामांसी चूर्ण और तुलसी मंजरी आदि का धुआं करने से वातावरण शुद्ध हो जाता है।
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