रोजाना एक गांव के किसान पहुंचेंगे गाजीपुर बार्डर
बृहस्पतिवार को भिक्कनपुर से पहुंचे 50 ट्रैक्टर
गाजियाबाद, 04 मार्च, 2021। खेतों में काम बढ रहा है और बार्डर पर आंदोलन चल रहा है। इन दोनों के बीच तालमेल बैठाने के लिए किसानों ने फार्मूला निकाल लिया है। एक गांव के किसान रोजाना यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पहुंचेंगे और 24 घंटे आंदोलन स्थल पर रहने के बाद लौट जाएंगे। अगले दिन दूसरे गांव के किसान आंदोलन में शामिल होने पहुंच जाएंगे। यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा। इसके लिए सबसे पहले गाजियाबाद जनपद के किसानों ने तैयारी कर ली है। जनपद के 120 गांवों की सूची बन गई है, जो अपनी बारी आने पर दिल्ली की सीमा पर पहुंचेंगे। एक मार्च से किसान इस फार्मूले पर काम भी कर रहे हैं। किसान नेताओं की ओर से अन्य गांवों में भी संपर्क अभियान चलाया हुआ है। बृहस्पतिवार को मुरादनगर क्षेत्र के भिक्कनपुर गांव से किसानों के 50 ट्रैक्टर गाजीपुर बार्डर पहुंचे।
बता दें कि कुछ दिनों पहले भारतीयकिसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बार्डर पर ही भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों की बैठक लेकर खेत के काम के साथ ही आंदोलन को सुचारू रखने की जिम्मेदारी सौंपी थी। उसके बाद भारतीय किसान यूनियन (युवा) के अध्यक्ष गौरव टिकैत और प्रदेश अध्यक्ष दिंगबर सिंह लगातार गांवों में जा रहे हैं और बैठक में तय की गई रणनीति पर काम कर रहे हैं। दिंगबर सिंह ने बताया कि गाजियाबाद जनपद के ही 120 गांवों की सूची तैयार हो गई है। इन गांवों के किसान बारी-बारी से गाजीपुर बार्डर पर पहुंचेंगे और 24 घंटे आंदोलन स्थल पर रहने के बाद लौट जाएंगे। अगले दिन दूसरे गांव के किसान उनकी जगह ले लेंगे।
गाजियाबाद भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने बताया कि 5 मार्च को मिलक, 6 मार्च को सुल्तानपुर, 7 मार्च को सौंदा, शेरपुर और नगला मूसा गांव के किसान आंदोलन स्थल पर पहुंचेंगे। आठ मार्च को गाजीपुर बार्डर आने की बारी जनपद के पतला गांव की है। किसान आंदोलन स्थल पर ट्रैक्टरों के जरिए ही आना जाना करेंगे।

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किसान यहां से जीतकर जाएगा - राकेश टिकैत
बेटे से भी प्यारी जमीन को लुटने नहीं देगा किसान
गाजियाबाद, 04 मार्च। किसान यहां से जीतकर जाएगा। इन कानूनों को वापस करवाकर जाएगा। एमएसपी पर कानून बनवाकर जाएगा, नहीं तो जमीनें नहीं बचतीं। 20 साल में जमीनें चली जाएंगी। यह बातें बृहस्पतिवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य राकेश टिकैत ने कहीं। उन्होंने मंच के सामने मौजूद जनसमूह से सवाल किया कि सबसे प्यार क्या होता है? पुत्तर (बेटा) होता है ना सबसे प्यारा, राकेश टिकैत की बात का समर्थन करने के लिए महिलाओं समेत सभी ने हाथ उठाया। इतने में उन्होंने फिर एक सवाल दाग दिया, ऐसे लोग हाथ उठाएं जिन्होंने अपने जीते जी जमीन बेटे के नाम करी हो? नहीं करी ना, पौते कू तो दे दी होगी, पर बेटे कू नहीं दी। बेटे कू भी नहीं दी तो सबसे प्यारी तो या जमीन हुई ना। इसी जमीन को छीनने का षडयंत्र हैं ये नए कृषि कानून, और किसान अपने बेटे से भी प्यारी जमीन को लुटने नहीं देगा।
उन्होंने एक बार फिर सरकार को चेताया कि जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं। राकेश टिकैत ने कहा कि एक हजार फीट नीचे से पानी निकालकर फसलों को सींचने वाले किसान के साथ धोखा नहीं कर सकते। उन्होंने महंगाई पर सरकार को घेरते हुए कहा कि डीजल कहां पहुंच गया। गैस का सिलेंडर कितने पैसे का मिलता है आज, यही हाल आने वाले दिनों में रोटा का होना है। कानून रद्द नहीं हुए तो ये लोग भूख पर व्यापार करेंगे। जिसको जितनी भूख लगेगी, उसका उतने ज्यादा दाम देने होंगे। भूख तो सबसे ज्यादा मजदूर को लगती है क्योंकि वह शारीरिक मेहनत ज्यादा करता है। मतलब साफ है कि यह आंदोलन मजदूर का भी आंदोलन है। यह आंदोलन जन आंदोलन है। इसको समझने में देर कर दी तो सब गड़बड़ हो जाएगा। उन्होंने सरकार को कहा कि वह भी इस बात को समझ ले। किसान एमएसपी का कानून लिए बिना दिल्ली की सरहदों को छोड़कर जाने वाला नहीं है।
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हिसार से आई महिलाओं ने टिकैत के सिर पर धरा हाथ
काफी संख्या में हरियाणा के हिसार जनपद से महिलाएं बृहस्पतिवार को गाजीपुर बार्डर पहुंचीं। इन महिलाओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और ताल ठोंकते हुए कहा कि यूपी वालों डटे रहो, हरियाणा की माएं तुम्हारे साथ हैं। इन महिलाओं ने राकेश टिकैत से मुलाकात की और भावुक होते हुए पीछे न हटने का वादा भी दोहराया। इतना ही नहीं महिलाओं ने राकेश टिकैत के सिर पर हाथ रखकर आशीष भी दिया।
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7 मार्च को मनाया जाएगा केरल डे
गाजीपुर बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में 7 मार्च को केरल डे मनाया जाएगा। इसके लिए आंदोलन स्थल पर डटे केरल के किसानों के जत्थे ने तैयारी भी शुरू कर दी है। राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन स्थल पर सबसे दूर, केरल से आने वाले किसानों के केरल डे मनाया जाएगा। उत्तर भारत का किसान केरल नहीं जा सकता, लेकिन केरल के किसान के साथ मिलकर गाजीपुर बार्डर पर केरल डे तो मना सकता है। उन्होंने आसपास रहने वाले केरल के लोगों से भी 7 मार्च को आंदोलन स्थल पर पहुंचने का आव्हान किया है।
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