गाजियाबाद, 28 फरवरी। किसान आंदोलन से शुरू हुआ यह आंदोलन अब जन क्रांति की ओर बढ रहा है। किसान परेशान है, दुकानदार परेशान है, बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावक परेशान हैं, नौजवान परेशान है उसे काम नहीं मिल रहा। हम तो सबसे कह रहे हैं आ जाओ, और लोग आ रहे हैं। किसान जो आंदोलन कर रहा है वह आंदोलन भूख पर व्यापार के खिलाफ है। भूख किसे नहीं लगती? सबको लगती है तो यहआंदोलन सबका है और सबका आंदोलन ही तो जनक्रांति होता है। यह बातें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार देर शाम गाजीपुर बार्डर पर कहीं। राकेश टिकैत रविवार को सहारनुपर में महापंचायत को संबोधित करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों से बड़े व्यापारियों को बेपनाह स्टॉक की छूट मिलेगी। स्टॉक की छूट मिलने के बाद देश में अनाज की कीमत व्यापारी तय करेगा। तो व्यापारी का अपना घाटा करेगा। उसकी कीमतें होंगी। जाहिर तौर पर मांग के हिसाब से व्यापारी अनाज की कीमत तय करेगा। यानी भूख पर व्यापार होगा। लेकिन किसान भूख पर व्यापार नहीं होने देगा। यह तीनों नए कृषि कानून सरकार को वापस लेने होंगे और एमएसपी पर कानून बनाना पड़ेगा, सरकार ऐसा नहीं करती तो जिसे भूख लगती है, इस आंदोलन में शामिल होगा, और भूख सबको लगती है इसलिए हर वर्ग का आदमी आंदोलन से जुड़ रहा है। खासकर वह मजदूर जो रोज मजदूरी करने के बाद अपने घर राशन लेकर लौटता है, यह आंदोलन असलियत में तो उसका है। मजदूर और किसान एकसाथ जुड़ रहा है, इसलिए यह आंदोलन अब जन क्रांति की ओर बढ रहा है। टिकैत ने कहा रोटी को तिजौरी में बंद न किया जा सके, इसके लिए सबको एकसाथ आना होगा। टिकैत ने कहा कि 2021 आंदोलन का वर्ष है। अब देश का किसान या तो अपने खेत में रहे या फिर आंदोलन में। जो किसान खेत में रहे, उसे भी एक नजर दिल्ली पर रखनी पड़ेगी। तभी इस देश में भूख को व्यापार बनाने से रोका जा सकेगा। -------- अमराला के बाद नूरपुर गांव के किसान पहुंचे गाजीपुर बार्डर गाजीपुर बार्डर पर अब रोजाना किसानों के जत्थे पहुंच रहे हैं। हर दिन एक गांव की डयूटी लगाई गई है। शनिवार को अमराला गांव के किसानों ट्रैक्टरों का काफिला लेकर गाजीपुर बार्डर पहुंचे तो रविवार को हापुड़ जनपद के नूरपुर गांव के किसानों ने ट्रैक्टरों में सवार होकर आंदोलन स्थल का रूख किया। भारतीय किसान यूनियन (युवा) अध्यक्ष गौरव टिकैत ने बताया कि उन्होंने गांव-गांव जाकर मीटिंगे करने का सिलसिला छेड़ा हुआ है। यह मीटिंगें इसलिए की जा रही हैं कि गाजीपुर बार्डर पर चल रहे आंदोलन में रोजाना एक गांव के किसान ट्रैक्टरों में सवार होकर पहुंचें, और यह सिलसिला चल भी निकला है। रविवार को भारी संख्या में नूरपुर गांव के किसान आंदोलन स्थल पर पहुंचे। गौरव टिकैत का कहना है कि अब लगातार किसान पहुंचते रहेंगे।
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