पढाई के साथ दोस्तों संग  बच्चों ने मनायी खुशी

 पहले दिन २० से50 फीसद रही उपस्थिति


मेरठ। कोरोना महामारी के कारण  बुधवार को करीब 10 महीने 22 दिन बाद आठवीं के बच्चे बुधवार को स्कूल पहुंचे। पहले दिन सभी स्कूलों में उपस्थिति 20 से 50 फीसद तक रही। स्कूल खुलने से लेकर स्कूल की छुट्टी तक बच्चों की पढ़ाई, उनकी खुशी, दोस्तों से मिलना, शिक्षकों का आशीर्वाद लेना साफ दिखाई दिया। बच्चों ने स्कूल की छुट्टी के बाद और स्कूल खुलने से पहले भी रास्ते पर दोस्तों संग मौज मस्ती की और अपने अंदाज में एक दूसरे से मिले। बच्चे कोविड-19 से प्रभावित भी नहीं दिखे। अधिकतर बच्चों के चेहरे पर मास्क लिखा लेकिन कुछ ऐसे भी बच्चे दिखे जो छुट्टी के बाद मास्क जेब में डाल कर घूमते दिखाई दिए। स्कूल के भीतर कक्षा में 20 से 25 बच्चों की संख्या में ही बिठाया गया। पहले दिन केवल आठवीं के ही 50 फीसद बच्चे बुलाने से स्कूलों में जगह की कोई परेशानी भी नहीं हुई। आठवीं के बालक-बालिकाओं ने क्लास में पढ़ाई करने के साथ ही एक दूसरे का हाल जाना। लॉक डाउन की यादों को साझा किया और पहले दिन स्कूल पहुंचने की यादों को भी संजोने की कोशिश की।

 क्लास के अंदर ही खाने की मिली अनुमति
तमाम स्कूलों में रिसेस के समय टिफिन करने के लिए भी बच्चों को क्लास के बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। शिक्षक शिक्षिकाएं स्कूल में बच्चों के साथ जुड़ी रही जिससे बच्चे पहले ही दिन व्यवस्था में ढलने की कोशिश कर सकें। क्लास में पहले दिन पढ़ाई का दबाव नहीं दिया गया। बच्चों से बातचीत हुई। कुछ गतिविधियां हुई। बच्चों की बातें सुनी गई तो कुछ बच्चों को हिदायत व निर्देश भी दिए गए। निर्देश सुरक्षा को लेकर रहे जिससे कुछ दिनों तक इस व्यवस्था में बने रहते हुए बच्चे अपने आप को सुरक्षित रखने के आदी हो जाए और उसके बाद वह स्वयं को संभाल सकें।
प्रधानाचार्य ने भी बच्चों से की मुलाकात और बात
सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य ने भी शिक्षकों के साथ हर क्लास में जाकर बच्चों से मुलाकात की और बातचीत कर उनका हाल जानने की कोशिश की। उन्होंने बच्चों का हौसला बढ़ाया और पठन-पाठन में जुडऩे के लिए प्रेरित किया। बच्चों ने भी अपने अनुभव साझा किए और बताया कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान किस तरह से अपना समय बिताया और अपने समय का सदुपयोग कर पढ़ाई व अन्य गतिविधियों में हिस्सा लिया।
ऑफलाइन परीक्षा देना चाहते हैं बच्चे
कक्षा आठवीं के बच्चे स्कूल पहुंचे तो उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई से पीछा छुड़ाने का मौका मिला। पूछने पर बच्चों ने ऑफलाइन परीक्षा में ही शामिल होने की इच्छा जाहिर की। बच्चों और अभिभावकों का रुख देखते हुए स्कूल भी ऑफलाइन या ऑनलाइन परीक्षा कराने की कोशिश करेंगे। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए और अभिभावकों व बच्चों के रुझान को देखते हुए स्कूलों को ऑफलाइन परीक्षा के आयोजन कराने में सहुलियत दिख रही है। पठन-पाठन के लिए बहुत समय भी नहीं बचा है क्योंकि अधिकतर स्कूलों में एक मार्च से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। जबकि नौवीं और 11वीं की वार्षिक परीक्षाएं 15 या 20 फरवरी के बाद से ही शुरू होंगी।
परिषदीय विद्यालयों में भी खूब हुआ बच्चों का स्वागत
बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले उच्च प्राथमिक विद्यालय भी बुधवार को खुल गए। पहले दिन स्कूल पहुंचे बच्चों का स्वागत शिक्षकों ने अलग-अलग तरीके से किया। कुछ कुछ जगहों का मुंह मीठा कराकर किया गया तो कुछ जगहों पर मिठाई व चॉकलेट देकर बच्चों का स्वागत हुआ। शिक्षकों ने बच्चों को स्कूल से जुडऩे, पढ़ाई करने व खेलकूद करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे पहले दिन बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न दिखे।
अभिभावकों ने भी स्कूल खुलने पर खुशी जाहिर की
अभिभावजों का कहना है कि लंबे समय से घर में ही रहकर ऑनलाइन पढ़ाई करते हुए बच्चे ऊबने लगे थे। ऑनलाइन पढ़ाई में वह बात नहीं जो ऑफलाइन पढ़ाई में शिक्षक के आमने-सामने बैठकर बच्चे कर सकते हैं या पूछ सकते हैं। अभिभावकों में भी इस बात की खुशी है कि अब स्कूल खुलने लगा है और बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह गई थी वह पूरी की जा सकेगी।
 इन्होंने कहा :-
 शासन के आदेश में  कोविड गाइड लाइन के अनुसार बुधवार से स्कूल खुल गये है। सभी स्कूल के प्रधानाचार्यो को कोविड-१९ की गाईड लाइन का पालन करने के निर्देश दिये गये है। नियमों का उल्लघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर जाएगी।
                            सतेन्द्र ढाका  बेसिक शिक्षा अधिकारी , मेरठ।

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