कहा हिंसा के लिए आंदोलन में कोई जगह नहीं

यहां केवल हिन्दुस्तान का झंडा फहराएगा

राकेश टिकैत ने गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की तैयारी का आव्हान किया



गाजियाबाद, 14 जनवरी, 2021। रोटी जब बाजार की वस्तु बन जाएगी तो देश में आंदोलन ही तो होगा। अन्न, जो प्राण शक्ति है सरकार उसे तिजौरी में बंद कराना चाहती है और यह आंदोलन उसके खिलाफ है। सरकार अन्न को तिजौरी में बंद करके भूखे लोगों से क्रांन्ति कराना चाहती है। नए कृषि कानूनों के मुताबिक कारपोरेट के गोदामों में गए अनाज के गोदामों का ताला सरकार उस समय खुलवा सकती है, जब महंगाई दो सौ गुना हो जाएगी। इतना ही नहीं मां और बहनें जो चार रूपए में सड़क किनारे से सिंदूर खरीदकर काम चला लेती हैं, मॉल में जाकर वही सिंदूर की डिब्बी 140 रूपए में खरीदनी पड़ेगी। बेशक अभी किसान सड़क पर पड़ा लेकिन यह लड़ाई उस आम जन मानस की है जिसे कन्ज्यूमर कहा जाता है। यह बातें गुरूवार को यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर मंच से अपने संबोधन में कहीं।  उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कानून वापसी तक खत्म होने वाला नहीं है। पब्लिक सरकार से पूछे आंदोलन कब तक चलेगा। जब सरकार को सही बात समझ में आ जाएगी, जब सरकार चाहेगी, आंदोलन खत्म हो जाएगा।
उन्होंने गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आंदोलनकारियों को अनुशासित रहने की नसीहत दी और यह भी साफ किया कि हमारे आंदोलन में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। श्री टिकैत ने कहा कि हिंसा की बात करने वाले को यह आंदोलन छोड़ना पड़ेगा। कोई डला- पत्थर मारने की सोच रहा हो तो वह अपना तंबू उखाड़कर आज ही अपने घर चला जाए। खालिस्तान, पाकिस्तान या अफगानिस्तान की यदि कोई बात करने की सोच रहा हो तो समझ ले कि यहां केवल हिन्दुस्तान का झंडा लहराएगा। उन्होंने कहा कि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड एहतिहासिक होगी, इस परेड को पूरी दुनिया देखेगी, इसलिए परेड में हमें देश का सिपाही बनकर शामिल होना है और अनुशासन किसी भी सिपाही की पहली पहचान होती है।
राकेश टिकैत ने कहा कि हमने भारत सरकार से गणतंत्र दिवस के मौके पर पांच लाख झंडे मांगे हैं। बच्चे-बच्चे के हाथ में उस दिन तिरंगा होगा। उन्होंने किसानों से भी झंडे का इंतजाम रखने का आव्हान किया। श्री टिकैत ने कहा कि अबकी बार परेड में सेना के टैंकरों के साथ ट्रैक्टर चलेंगे और तभी किसान और जवान का मेल- मिलाप होगा। पुराने ट्रैक्टर जिन्हें सरकार बंद करने की बात कहती है वही ट्रैक्टर गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की चमचमाती सड़कों पर चलेंगे। किसानों को देखना है कि तिरंगे के साथ दिल्ली में जाने वाले किसान को कौन सी धारा के तहत रोका जाएगा। हमने दान में कोई फंड नहीं मांगा। हमने राष्ट्रीय झंडा मांगा है। हमने न्यूज चैनलों से भी झंडा मांगा है और एक नेशनल न्यूज चैनल ने हमें एक हजार झंडे उपलब्ध भी कराए हैं। टिकैत ने आंदोलनकारियों से कहा कि गणतंत्र दिवस की परेड में केवल वही ट्रैक्टर जाएगी जो लाइन में चलने का माद्दा रखता हो। जो लाइन में न चल सके वह ट्रैक्टर परेड में न जाए।
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भगवान तो हमने नहीं देखा, हम सुप्रीम कोर्ट भी भगवान मानते हैं
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई कमेटी पर चुटकी लेते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि कमेटी में जो लोग शामिल हैं, वही 30 साल पहले शुक्रताल में एक सभा में पहुंचे थे। बैठक में उन्होंने भैंस के बच्चे द्वारा पिए जाने वाले दूध का गणित बताया तो चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने उन्हें साफ कह दिया था कि भैंस के बच्चे के दूध का हिसाब रखने वाला किसान नहीं हो सकता। वह तो केवल व्यापारी हो सकता है। श्री टिकैत ने कहा कि जिस कमेटी में ऐसे लोग शामिल हों, उस कमेटी का भविष्य हमें पहले ही मालूम है और जब मुकदमा चलने से पहले ही सजा मुकर्रर हो जाए। जब जज ही वकील बन जाए तो मुकदमा चलाने की जरूरत ही क्या है। राकेश टिकैत ने कहा कि हमने भगवान तो नहीं देखा, लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट को भी भगवान ही मानते हैं। 
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