जनवरी में गोद लिए 445 बच्चों में से 437का उपचार हुआ पूरा
- एमडीआर और एक्सट्रा पल्मोनरी आठ बच्चों की अभी चल रही है दवा - सितंबर माह तक 552 और बच्चे विभिन्न संस्थाओं ने गोद लिए
गाजियाबाद, 21 अक्टूबर, 2020। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. जेपी श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले वर्ष सूबे की गर्वनर की ओर से आह्वान किया गया था कि नाबालिक क्षय रोगियों को पोषण सहायता के लिए संस्थाएं गोद लें। जनवरी में जिले के 445 नाबालिग क्षय रोगी विभिन्न संस्थाओं ने गोद लिए थे। इनमें पांच बच्चे एक्सट्रा पल्मोनरी और तीन बच्चे एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) होने के कारण उनका उपचार चल रहा है। बाकी ४३७ बच्चों का उपचार पूरा हो गया है। यह सभी बच्चे अब ठीक हो गए हो गए हैं। एमडीआर और एक्सट्रास पल्मोनरी मरीजों को लंबे उपचार की जरूरत होती है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि सितंबर माह तक 552 बच्चे विभिन्न संस्थाओं को बेहतर पोषण के लिए गोद दिए गए हैं। सबसे अधिक 200 बच्चे केमिस्ट एसोसिएशन ने गोद लिए हैं। 150 बच्चे रोटरी गाजियाबाद नॉर्थ, 50 बच्चे रोटरी आरएचएएम और 25 बच्चे आईएमए गाजियाबाद के द्वारा गोद लिए गए हैं। बाकी बच्चों को क्षय रोग विभाग के साथ काम रहे एनजीओ आईएमडीटी लोनी, एडीसी चिरौड़ी, नेचर केयर और वी केयर मिलकर पोषण सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। बता दें कि जनवरी माह में भी केमिस्ट एसोसिएशन ने सबसे ज्यादा 250 बच्चे गोद लिए थे। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु के क्षय रोगियों को गोद लेने वाले संगठन न केवल पोषण सहायता उपलब्ध कराते हैं बल्कि समय-समय इन बच्चों की काउंसलिंग भी करते हैं। ताकि उनका हौसला बना रहे और क्षय रोग विभाग द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही दवाओं का नियमित रूप से सेवन करते रहें। बच्चों को यह भी बताया जाता है कि दवा बीच में छोड़ने पर टीबी का उपचार पूरा नहीं हो पाएगा और ऐसा करने से दवाएं भी काम करना बंद कर देती हैं। दवा बीच में छोड़ने के बाद क्षय रोगी एमडीआर कैटेगरी में चले जाते हैं और यह काफी खतरनाक स्थिति है। इसलिए दवाओं का नियमित सेवन करें। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि कोई भी नया क्षय रोगी केवल छह माह तक दवा खाने से पूरी तरह ठीक हो जाता है।
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