10 लाख नहीं, बल्कि 1.5 करोड़ की खरीदारी कर दी गई


मेरठ। घालमेल करने में निगम का जवाब नहीं इसका उदाहरण देखिए लॉकडाउन में नगर निगम ने बिना टेंडर किये 1.5 करोड़ की खरीदारी कर दी। यह बड़ा सवाल है। ये सब नियमों के विपरीत हुआए लेकिन खरीददारी करने वालों पर कार्रवाई कौन करें जो खरीद.फरोख्त की गईए वो पीवीसी पाइप, सीवर ढक्कन, इलेक्ट्रिक वायर औरसीआईडी ज्वांइट शामिल है। लॉकडाउन में इसकी आवश्यकता भी नहीं थी,मगर नियम विरुद्ध इसकी खरीदारी की गई।
 बतादें  10 लाख से ऊपर कुछ भी खरीददारी करने के लिए ई.टेंडर के जरिये ही सामान की खरीद-फरोख्त की जा सकती है, मगर यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ। 10 लाख नहीं, बल्कि 1.5 करोड़ की खरीदारी कर दी गई।
नियम यह कहता है कि इसके लिए ई.टेंडर होना चाहिए था, मगर सीधे खरीदारी कर दी गई। ऐसे सामान की खरीदारी कर दी गई, जिसकी लॉकडाउन में कोई आवश्यकता नहीं थी। पूरा शहर बंद था। ऐसे में नगर निगम के अधिकारी 14 वें वित्त से 1.5 करोड़ की खरीद कर रहे थे।
प्रदेश सरकार के आदेश है कि दस लाख से ज्यादा की खरीद-फरोख्त ई.टेंडर से ही की जाएगी। सीधे खरीद.फरोख्त नहीं की जा सकती। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने बिना टेंडर किये ही सामान खरीद डाला। इस पूरे प्रकरण की शिकायत पार्षद मनीष पंवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पोटर्ल पर की है। इसी शिकायत के आधार पर इस पूरे प्रकरण की जांच हो सकती है। जिसमें नगर निगम के अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है।
यह घालमेल किया है कि नगर निगम के जलकल विभाग ने। जलकल में ही ये तमाम सामान खरीदा गया। यह सामान स्टॉक में है या फिर नहीं, इसकी भी जांच कराने की मांग की गई है। यह ऐसा मामला है कि जिसमें नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है।
यह घालमेल करने का मामला पहला नहीं है, बल्कि नगर निगम में इस तरह के कारनामे करके निगम को बड़ा चूना लगाया जा रहा है। पार्षद मनीष पंवार का आरोप है कि जब शासन के यह आदेश है कि 10 लाख से ज्यादा का ई.टेंडर होना चाहिए तो फिर बिना टेंडर 1.5 करोड़ रुपये की खरीदारी कैसे कर दी गई। इसमें कौन-कौन अधिकारी लिप्त है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री स्तर से इसकी जांच हुई तो कई निगम अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

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