छीने 2100 करोड़ के विदेशी ग्राहक, 23 प्रतिशत लेदर कारोबार प्रभावित
कानपुर । बांग्लादेश की तरक्की में कानपुर का भी बड़ा हाथ है। आपको सुनकर भले ही आश्चर्य होगा लेकिन यही सच है। पड़ोसी देश की सूरत लेदर और टेक्सटाइल उद्योग ने बदल दी है। कई कारणों से परेशान कानपुर की लेदर इंडस्ट्री में बांग्लादेश ने सेंध लगा दी है। आलम यह है कि 2100 करोड़ के विदेशी ऑर्डर यहां से चले गए हैं। लेदर यानी बकरे या बकरी की खाल का सबसे बड़ा सप्लायर भारत के बाद बांग्लादेश ही था। माघ मेला, कुंभए प्रदूषण, कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट और एनजीटी के सख्त रुख के कारण ढाई साल में टेनरियां अधिकतम 50 फीसदी क्षमता से चल रही हैं। उसमें भी 19 महीने बंद रहीं। ऐसे में निर्यात के ऑर्डर खटाई में पड़ गए। इस स्थिति में में यूरोप के खरीदारों ने बांग्लादेश का रुख किया तो वहां जमकर प्रोत्साहन पैकेज भी दिए गए। ड्यूटी ड्रॉ बैक 15 फीसदी कर दिया। इसका असर यह हुआ कि कानपुर के हाथ से चार बड़े विदेशी ब्रांड चले गए। जो टेनरियां यहां विस्तार करने की योजना बना चुकी थींए उनमें से 32 ने पश्चिम बंगाल में जमीन के लिए एमओयू कर लिया। चार टेनर्स बांग्लादेश में विस्तार कर रहे हैं। ऐसे आई बदहाली दरअसल दो साल से कानपुर में आधी से भी कम टेनरियां चल रहीं है। जिसकी क्षमता ५० फीसदी कर दी गयी है । ऊपर से 15 दिन का चलाने का रोस्टर दिया गया है। टेनरियों को लेबर व स्टॉफ को ३० दिन का पैसा दे रही है जबकि काम कम हो रहा है। करोडों के कर्ज मे डूबे कारोबारी अब कोलकत्ताा का रूख कर रहे है। इनमें से कई ने बाँग्लादेश में ईकाइयां स्थापित कर ली है। अन्य कई कारणों से भी ईकाईयां बद हो रही है। क्या कहते हैं कारोबारी बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय बढ़ गई है। पिछले ढाई साल में टेनरी उद्योग संकट में है। इस वजह से लेदर एक्सपोर्ट में 40 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है। इसका बड़ा हिस्सा बांग्लादेश ले गया है। . जावेद इकबाल, रीजनल चेयरमैन सीएलई लेदर एक्सपोर्ट पर ड्रॉ बैक अब घटकर दो प्रतिशत रह गया है। टेनरियां महीने में 15 दिन चल रही हैं। इन वजह से हमारी लागत बढ़ गई है और बांग्लादेश की 20 फीसदी तक कम हो गई है। .डॉ. फिरोज आलम, यूपी स्माल टेनर्स एसोसिएशन
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