कोरॉजन कीटनाश्क के अधिक प्रयोग से किसानों को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य को भी नुकसान
मेरठ । वैज्ञानिक संस्तुतियों के अनुसार फसल वर्ष में एक बार ही कोरॉजन का प्रयोग गन्ने की फसल में लगने वाले बेधक कीटों के नियंत्रण हेतु पर्याप्त है, क्यो कि यह यह कीटनाशक काफी महंगा हैऔर इस का प्रभाव भी काफी समय तक बना रहता हैऔर यह वातावरण में जल्दी नष्ट नही ंहोता है। किसानों के लिए आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से भी इसकाअधिक उपयोग किया जाना हितकर नही ंहै। यह एक अति घातक श्रेणी का वर्गीकृत रसायन है, जिसका पर्यावरण तथा मृदा स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्र ने बताया कि को रॉजन कीटनाशक के सम्बन्ध में भ्रामक प्रचार के कारण किसानों द्वारा इसका प्रयोग गन्ना फसल में 2 से 3 बार किया जा रहा है, जो अत्यन्त गलत है।इससे किसानों को आर्थिक नुकसान तो होता ही है, पर्यावरण तथा मृदा स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया आई.आई.एस.आर., लखनऊ की रिपोर्ट दिनांक-23.03.2017 के अनुसार इसका उपयोग अंकुर बेधक व चोटी बेधक कीट के नियंत्रण हेतु किया जाता है।तथा इसका प्रयोग मई के अन्तिम सप्ताह या जून के प्रथम सप्ताह में केवल एक बार करना पर्याप्त है।इसी प्रकार गन्ना शोध परिषद्, शाहजहांपुर द्वारा अपनी रिपोट र्मे ंबताया गया है कि इसका उपयोग अंकुर बेधक व चोटीबेधक कीट के नियंत्रण हेतु किया जाता है।
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