प्राईवेट अस्पतालों को कोरोना मरीज के बेहतर उपचार के संबंध में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मेडिकल कालेज में हुआ प्रारम्भ मरीज की श्वांस 90 प्रतिशत से कम होने पर या निमोनिया होने पर या अनियंत्रित डाईबिटीज होने पर प्राईवेट अस्पताल मरीज को मेडिकल कालेज भेजा जाए
मेरठ। कोरोना महामारी के नियंत्रण के संबंध में जनपद में अनेको कदम उठाये जा रहे है। जहंा एक ओर आयुक्त व जिलाधिकारी द्वारा निरंतर निरीक्षण व बैठके की जा रही है वहीं दूसरी ओर अनेकों कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही है। गुरूवारी को एलएलआरएम मेडिकल कालेज के ऑडिटोरियम में प्राईवेट अस्पतालों को कोरोना मरीज की देखभाल व अन्य विषयों पर जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा राजकुमार ने बताया कि मरीज की श्वांस 90 प्रतिशत से कम होने पर या निमोनिया होने पर या अनियंत्रित डाईबिटीज होने पर प्राईवेट अस्पतालों को मरीज को मेडिकल कालेज भेजा जाना चाहिए। ताकि उसकी बेहतर देखभाल व उपचार किया जा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा राजकुमार ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन दिन तक चलेगा जिसमें 224 प्राईवेट अस्पतालों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होने बताया कि सितम्बर माह में प्राईवेट अस्पतालों द्वारा मेडिकल कालेज रेफर किये गये मरीज में से 35 की एक या दिन में ही मृत्यु हो गयी। उन्होने कहा कि प्राईवेट अस्पतालों को यह जानना आवश्यक है कि उन्हें कब व किस स्थिति में मरीज को समय रहते मेडिकल को रेफर करना है ताकि मृत्युदर में कमी लायी जा सके। उन्होने कहा कि अब हर मृत्यु का डैथ ऑडिट आयुक्त द्वारा गठित कमेटी द्वारा किया जायेगा, जिसमें वह भी एक सदस्य है। मेडिकल कालेज के डा टीवीएस आर्य ने कहा कि इंफेक्षन प्रिवेन्शन एंड कंट्रोल आईपीसी का विशेष ध्यान देना आवयश्क है। उन्होने बताया कि सीवर एक्युड रेसपीरेटरी इन्फेक्षन सॉरी में मरीज व इन्फलुऐंजा लाईक इंलनेस आईएलआई के मरीज व उसकी पहचान के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर डा प्रिया बंसल, डा पूजा शर्मा ने भी व्याख्यान दिया। कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा राजकुमार, मेडिकल कालेज के डा टीवीएस आर्य, एसीएमओ डा पूजा शर्मा सहित प्राईवेट अस्पतालों से आये संचालक, चिकित्सकगण आदि उपस्थित रहे।
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