मोदीनगर सीएचसी में लगा अल्जाइमर्स.डिमेंशिया के मरीजों के लिए शिविर 

27 सितंबर तक मनाया जाएगा राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह

. 70 लोगों ने शिविर का लाभ उठायाए 20 में मिले डिमेंशिया के लक्षण

. मरीजों की काउंसलिंग कीए फालोअप के लिए एमएमजी अस्पताल बुलाया

.

गाजियाबाद। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीएचसीमोदीनगर में मंगलवार को मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। स्थानीय विधायक डा. मंजू शिवाच ने इस मौके पर शिविर में पहुंचे मरीजों को फलों का वितरण किया। उन्होंने शिविर में आए लोगों का बुढ़ापे में भूलने के बीमारी के बारे में जानकारी देने के साथ ही बुजुर्गों के साथ आत्मीयता से व्यवहार करने और उनकी अच्छे से देखभाल करने की अपील की। बता दें कि मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जनपद में 21 सितंबर से अल्जाइमर्स.डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके तहत जनपद में अलग.अलग स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। डा. शिवाच ने कहा कि अल्जाइमर्स.डिमेंशिया एक मानसिक स्थिति है। उपेक्षा और अकेलापन इस बीमारी को और बढ़ा देता है। 
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. नीरज अग्रवाल ने बताया कि जनपद में दूर दराज के लोग जल्दी से जिला अस्पताल नहीं आ पाते, यही सोचकर शिविर का आयोजन मोदीनगर सीएचसी में किया गया। जिला एमएमजी अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ की टीम साइकेट्रिस्ट कंसलटेंट डा. साकेतनाथ तिवारी के नेतृत्व में मोदीनगर सीएचसी पहुंची थी। शिविर के लिए सीएचसी प्रभारी डा. कैलाश चंद की ओर से सभी तैयारियां कराई गई थीं। 
डा.तिवारी ने बताया कि करीब 70 लोग शिविर में पहुंचे थे। उन सबकी जांच की गई। शिविर में आए लोगों में से करीब 20 में अल्जाइमर्स.डिमेंशिया के लक्षण मिले हैं। इसके अलावा कुछ लोग अवसाद और अन्य मानसिक रोगों से ग्रसित थे। जरूरत के हिसाब उन्हें दवा दी गईं और आगे के फालोअप के लिए जिला एमएमजी अस्पताल बुलाया गया है। मनोरोग काउंसलर डा. चंदा यादव और उनकी टीम ने कुछ मरीजों की काउंसलिंग भी की। जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ की टीम में साइकेट्रिस्ट सोशल वर्कर सोमदेवए साइकेट्रिस्ट नर्स आकाश त्यागी और साइकेट्रिस्ट नर्स राकेन्द्र दयाल के अलावा एनसीडी विभाग से डा.आशुतोष गौतम और नर्स ललिता भी शिविर में पहुंची थीं। इसके अलावा सीएचसी प्रभारी डाण् कैलाश चंद अपनी पूरी टीम के साथ मौजूद रहे।
डाण् साकेतनाथ तिवारी ने बताया कि बुढापे में भूलने की आदतों ;अल्जाइमर्स .डिमेंशियाद्ध की बीमारी से ग्रस्त बुजुर्गों की तादाद ब? रही है। 65 वर्ष से अधिक आयु वाले 5 से 10 फीसदी मरीज इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी के जेनेटिक होने का खतरा भी रहता है। इसलिए ऐसे लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है जिनके पिता को यह बीमारी हुई हो। बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने देंए समय निकालकर उनसे बातें करेंए उनकी बातों को नजरंदाज कदापि न करेंए बल्कि उनको ध्यान से सुनें। यदि किसी बुजुर्ग को छोटी.छोटी चीजें भूलने की शिकायत हो या फिर नींद आने में दिक्कत हो तो जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ में दिखाएंए ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके । 


No comments:

Post a Comment

Popular Posts