कोरोना के संक्रमण में कैदियों को मिला तोहफा
बंदियों को डिप्रेशन से बचाने के लिये मोबाइल पर परिजनों से करा रहे बात
० सैनिटाइजेशन के 48 घंटे के बाद मिलता है घर से आया सामान
न्यूज प्रहरी- मेरठ । देखिए मै जिला कारागार से बाल रहा हू.... मै जेलर के सामने बात कर रहा हू ... इस नम्बर पर पलट कर फोन मत करना ... यह फोन सिर्फ बात हमारे बात करने के लिये है ... इसके बाद बंदियो की परिजनों से बात होती है । कभी आपने ऐसा सुना होगा।

चौधरी चरण सिंह िजला कारागार के जेल अधीक्षक डा बीडी पांडे ने बताया वैसे तो जेल में पीसीओ लगा हुआ हे। बंदियों की संख्या अधिक होने के कारण जिला कारागार के अंदर सर्किल के डिप्टी जेलरों को सरकारी फोन दिया गया है। वह बंदी को फोन का स्पीकर खोलकर बात कराते है। बंदी पहले बोलता है कि वह जेल से जेलर के सामने बात कर रहा है इस फोन पर पलट कर फोन मत करना यह फोन हमारे बात करने के लिये है। इसके बाद दो मिनट परिजनों से बात करता है। उन्होने बताया बाहर से आने वाले सामान को भी सैनिटाइज के बाद जेल मे लिया जाता हे। ४८ घंटे बीतने के बाद वह सामान बंदियों को दिया जाता है। उन्होने बताया बंदियों को अवसाद से बचाने के लिये प्रदेश की सभी जेलों में यह व्यवस्था उपलब्ध करायी गयी है। जिन कारागारो में बंदियों की संख्या कम है वहां पर पीसीओ के माध्यम से बात करायी जा रही है। जहां पर बंदियों की संख्या अधिक है वहां सरकारी फोन से २ से पांच मिनट बात करायी जा रही है।
नवागन्तुक बंदियों को अनिवार्य रूप से 14 दिनों तक अस्थायी कारागारों मे रखने के निर्देश
प्रदेश की जेलो में बंद बंदियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिये अपर मुख्य सचिव कारागार ने कोविड-१९ महामारी को देखते हुए कारागारों में प्रवेश होने वाले नवाग्तुक बंदियों को अस्थायी कारागारो ं में रखने के ििनर्देश दिये है। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थाी ने प्रदेश के सभी मंडलायुक्त को निर्देश जारी किया है। जिन जिलों में १० या १०से अधिक कोरोना के संक्रमित मरीज है। उन जिलों के नवाग्तुक बंदियों को अनिवार्य रूप से १४ दिन तक अस्थायी जेलों में क्वारंटटइन के रूप में रखा जाए। निगेििटव रिपोर्टआने के बाद ही उन्हे कारागार में भेजा जाए।
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