फांसी पर लटकाए गये निर्भया के गुहागानर
शुक्रवार तडके ३.३० तक सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई

ये था मामला
इस वारदात में ६ लोग शामिला थे। राम सिंह ने २०१३ में जेल में ही फंासी लगा ली थी, जबकि एक नाबालिग था जो सुधार ग्रह में रहने के बाद तीन साल बाहर आ चुका है। चारों दोषियों अक्षय सिंह, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा ने अंतिम पलों तक फंासी टलवाने के लिये तमाम प्रयास किये। पिडिता के परिवार कोू सात साल इंतजार करना पडा। निर्भया की मॉ ने कहा , मेरी बेटी की आत्मा को अब शांति मिलेगी। सात साल की कानूनी लडाई के बाद उसे न्याय दिला पायी हू।चौथे डेथ वारंट को रोकने के लिये कोरोना का बनाया ढाल
आरोपियों के अधिवक्ता एपी सिंह ने चौथे डेथ वारंट पर भी रोक लगवाने के लिये गुरूवार को भरसक कोशिश की। एपी सिंह ने कहा कि मामला अंतराष्ट्रीय न्यायालय में है। इसके अलावा अक्षय की पत्नि की तलाक की अर्जी भी विचाराधीन है। पवन के साथ जेल में मारपीट का मामला भी विचाराधीन है। ऐसे में फांसी नहीं दे सकते । कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के चलते अदालतों का कामकाज प्रभावित है ,इसलिये अंतराष्ट्रीय न्यायालय में मामले की सुनवाई नहीं हो पा रही है। फिलहाल माहौल ठीक नहीं है, इसलिये फांसी रोकी जानी चाहिए।तमिलनाडु पुलिस की स्पेशल फोर्स के जिम्मे थी सेल की सुरक्षा व्यवस्था तिहाड जेल के अंदर की पूरी सुरक्षा व्यवस्था तमिलनाडु पुलिस की स्पेशल फोर्स के जिम्मे सौपीं गयी थी। खासकर तमिलनाडु पुलिस को लगाने का मकसद वह था कि अगर कुछ अंदर ले जाने के लिये सुरक्षाकर्मियों से सांठगाठ की कोशिश हो तो उनके बीच में भाषाई समस्या आ जाए ।
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