पुत्र-पिता समेत तीन महिलाओं की जिंदगी बचा ली
बागपत। यमुना में जैसे ही नाव डूबने का पता चला चारों ओर कोहराम मच गया। यमुना किनारे सैकड़ों लोगों की भीड़ लगा गई। नाव डूबने की खबर सुनकर जो जिस हालत में था उसी में दौड़ा चला आया। ऐसे में पुराना कस्बा स्थित यमुना खादर में रोजमर्रा की तरह जाकिर खेतों में फसलों की रखवाली के लिए गया था। उसके सामने ही नाव डूब गई। यह मंजर देख उसने बिना कुछ सोचे.समझें अपनी जान की परवाह किए बगैर यमुना में छलांग लगा दी। उसने अपने आठ वर्षीय पुत्र और पिता के अलावा तीन महिलाओं की जिंदगी बचा ली।
जाकिर ने बताया कि गुरुवार शाम करीब साढ़े पांच बजे थे। वह खेत में फसलों की रखवाली कर रहा था। उसी दौरान हरियाणा से आ रही नाव यमुना नदी में उसकी आंखों के सामने पलट गई। चीख.पुखार मचनी शुरू हो गई। उसका आठ वर्षीय पुत्र समीर और पिता नूरहसन भी यमुना में डूब रहे थे। उसने तुरंत यमुना में छलांग लगा दी। पहले तो अपने बेटे को बाहर निकाला। उसके बाद इरफानाए वारिसाए शहनाज और पिता नूरहसन को बचा लाया। स्वजनों को भी जानकारी नहीं दे सका क्योंकि मोबाइल में पानी भर चुका था। इसके बाद घटनास्थल पर सैकड़ों लोग पहुंच गए। पीड़ितों को उनके घर पहुंचाया। वहीं जाकिर के घर पर रिश्तेदार और पड़ोस के लोगों का तांता लग गया।
कैसे चल रही थी अवैध नाव
काठा हादसे के बाद प्रशासन ने दावा किया था कि कहीं भी अवैध रूप से नाव नहीं चलने दी जाएंगी लेकिन आज जो नाव डूबी वह अवैध थी और नाविक मछुआरा बताया जा रहा है। यह नाव काफी दिनों से लोगों को यमुना पार करा रही थी लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी नींद में था। अक्सर होता भी यही है जब हादसा होता है तो तंत्र जागता है और कुछ दिन बाद सब कुछ पुराने र्ढे पर लौट जाता है। वैसे भी ऐसी नावों से हरियाणा से अवैध शराब की तस्करी भी आम बात है।
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