पीसीपीएनडीटी अधिनियम के बारे में भी बताया कैसे शामिल हो सकती हैं मुखबिर योजना में





न्यूज प्रहरी 24 नोएडा । स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सेक्टर 39 स्थित महिला थाने में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम 1994 एवं मुखबिर योजना की जानकारी पुलिसकर्मियों को दी। कार्यक्रम में महिला पुलिसकर्मियों से अपील की गयी कि वह इस योजना की बारीकियां समझें और इस योजना पर ध्यान दें।

विभाग के नोडल अधिकारी डा. शिरीश जैन के निर्देशन में पीसीपीएनडीटी की टीम की डिस्ट्रिक्ट कोओर्डिनेटर एडवोकेट मृदुला सरीन ने पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम 1994 एवं मुखबिर योजना के उपयोग, महत्ता एवं आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह इस योजना पर काम करके इनाम पाया जा सकता है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के अनुशरण में प्रशासन द्वारा बेटियों की गर्भ में रक्षा के लिए मुखबिर योजना का संचालन किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग अवैध रूप से चल रहे अल्ट्रासाउंड केन्द्रों तथा अवैध रूप से लिंग जांच करने वाले केन्द्रों, चिकित्सकों तथा व्यक्तियों के खिलाफ बहुत सख्त है और उन्हें दंडित करने के लिए बचनबद्ध है।

उन्होंने बताया मुखबिर योजना का सफल संचालन कराने वाले मुखबिर को 60000, गर्भवती महिला को एक लाख और सहायक को 40000 रुपये की इनामी राशि शासन द्वारा दी जाती है। इसके अलावा अवैध ढंग से अल्ट्रासाउंड केन्द्र चलाने वाले, अवैध ढंग से अल्ट्रासाउंड करने वाले चिकित्सक, व्यक्ति के बारे में जानकारी देने वाले को 25000 का इनाम देने का प्रावधान है। उन्होंने बताया  मुखबिर योजना में शामिल होने के लिए इन्छुक व्यक्ति को जिला अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करना होता है।

क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994

देश में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम 1994। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्नीक (पीएनडीटी) एक्ट 1996 के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले चिकित्सक, लैबकर्मी को तीन से पांच साल की सजा और 10000 से 50000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है। नियमानुसार अल्ट्रासाउंड केन्द्र का पंजीकरण समाप्त होने से एक हफ्ता पहले ही दोबार पंजीकरण के लिए प्रार्थनापत्र दे देना चाहिए। पंजीकरण स्थान का होता है, चिकित्सक और मशीन का नहीं। चिकित्सक व मशीन का केवल अंकन होता है। मरीज की आईडी के बिना अल्ट्रासाउंड नहीं करना चाहिये।


No comments:

Post a Comment

Popular Posts