ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में पोषण चौपालों का आयोजन किया गया
गाजियाबाद। जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों पर शुक्रवार को ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में पोषण चौपालों का आयोजन किया गया। पोषण चौपालों का आयोजन इंटीग्रेटेड चाईल्ड डवलपमेंट सर्विस (आईसीडीएस) विभाग ने पंचायती राज विभाग के सहयोग से किया। चौपालों में गांव के
ऐसे बच्चों के परिवारों को भी बुलाया गया था जिनके दो वर्ष के बच्चे तंदरुस्त और सुपोषित हैं। इन परिवारों की मदद से कुपोषित बच्चों के परिवारों, खासकर ऐसे बच्चे के पिता की काउंसिलिंग कराई गई। इसके अलावा कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में एनीमिया शिविरों का आयोजन किया गया।
लोनी क्षेत्र के चिरौड़ी गांव निवासी दो वर्षीय माहिरा के पिता वसीम के साथ सकारात्मक व्यवहारों पर चर्चा कर व्यहार परिवर्तन का प्रयास किया गया। इसके अलावा शुक्रवार को केंद्रों पर बच्चों का वजन किया गया और उनकी लंबाई के हिसाब से कुपोषित बच्चों का चिन्हीकरण किया गया। चिरोड़ी में ही सलमान की पुत्री शबा चार साल की होने को है लेकिन उसका वजन मात्र साढ़े चार किलोग्राम निकला। सलमान की बेहतर पोषण के लिए काउंसिलिंग की गई।
जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने बताया, जिन बच्चों का वजन उनकी लंबाई की तुलना में कम पाया गया, उनके माता-पिता को आयु के अनुसार पोष्टिक भोजन की सलाह दी गई। हरी सब्जियों और फलों के प्रति बच्चों को कैसे आकर्षित करें, इसके लिए माता-पिता को सलाह दी गई कि बच्चे को उसकी पसंद के मुताबिक कविता या कहानी सुनाते हुए खिलाने का प्रयास करें। इसके अलावा बच्चों को उनकी पसंद के खेल भी खाने के दौरान कराये जा सकते हैं। खेल-खेल में बच्चे खाने में रुचि लेने लगते हैं और ऐसा कर माता-पिता बच्चे का व्यवहार परिवर्तन कर सकते हैं।
कुपोषित बच्चों के पिता को पोषण चौपाल में चर्चा के माध्यम से सकारात्मक व्यवहारों के बारे में बताया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने पूर्व में चिन्हित 0 - दो
वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के घरों में भ्रमण किया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया गृह भ्रमण का कार्यक्रम आगे भी जारी रहेगा। गृह भ्रमण के दौरान जनपद में 0 से 2 वर्ष के कुपोषित बच्चों को पौष्टिक भोजन व पुष्टाहार सेवन की सलाह दी जाएगी। पोषण चौपाल में पहुंचे माता पिता को छह
माह की आयु पूरी करने के साथ ही बच्चों को ऊपरी आहार देने की सलाह दी गई, क्योंकि छह माह की
आयु के बाद बच्चे के
शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति मां के दूध से नहीं हो पाती। आयु के हिसाब से कितनी मात्रा में और कितने अंतराल में ऊपरी आहार देना जरूरी होता है, इस बात की जानकारी भी माता-पिता को दी गई।
No comments:
Post a Comment